मध्य प्रदेश की असेंबली ने धार्मिक स्वतंत्रता बिल को पारित कर दिया है। यह कानून लव जिहाद के खिलाफ बनाया गया है। शिवराज सरकार का कहना है कि सरकार ने सोच समझकर इस बिल को असेंबली के पटल पर रखा था। चर्चा के बाद इसे कानून बनाने का फैसला किया गया। वोटिंग के जरिए सदस्यों की रायशुमारी की गई तो ज्यादातर विधायक इसके समर्थन में दिखे।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 1 मार्च को विधानसभा में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020 पेश किया था। इस विधेयक पर 5 मार्च को चर्चा होनी थी। बजट पर चर्चा होने की वजह विधेयक पर चर्चा नहीं की जा सकी। इसके बाद इस पर चर्चा के लिए महिला दिवस यानि आज का दिन तय किया गया था। सरकार की तरफ से आज सदन में बताया गया कि वो इसे कानून का दर्जा देना चाहती है।
Madhya Pradesh Freedom of Religion Bill, 2021 passed in the Assembly
— ANI (@ANI) March 8, 2021
स्पीकर गिरीश गौतम ने कांग्रेस की मांग पर इस विधेयक पर चर्चा के लिए डेढ़ घंटे का समय निर्धारित किया था। शिवराज सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कांग्रेस नेताओं को चुनौती दी थी कि यदि सही मायने में वे महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो इसका समर्थन करें।
इस विधेयक में बहला-फुसलाकर, धमकी देकर धर्मांतरण और जबरदस्ती विवाह करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। कानून के अनुसार, इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले लोगों के खिलाफ मुख्य आरोपी की तरह ही बर्ताव किया जाएगा। धर्मांतरण और इसके पश्चात होने वाले विवाह के 1 महीने पहले जिलाधीश के पास लिखित में आवेदन करना होगा।
बिना आवेदन किए धर्मांतरण करने वाले या ऐसा कराने वाले के लिए भी कानून में 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित के साथ उसके माता-पिता, परिजन या अभिभावक कर सकते हैं। कानून के मुताबिक, धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन निरस्त करने का प्रावधान भी इस कानून में है।