2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के सामने तीन विधानसभा चुनाव की चुनौती खड़ी है। ये तीन राज्य हैं- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़। एक में अगर बीजेपी सत्ता में है तो दो ऐसे राज्य हैं जहां पर कांग्रेस की सरकार चल रही है। अब बताया जा रहा है कि एमपी में शिवराज फैक्टर बीजेपी के पक्ष में काम कर सकता है। लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार की कुछ ऐसी योजनाएं जमीन पर सक्रिय चल रही हैं जो बीजेपी के खेल को बिगाड़ सकती हैं।
एमपी में बीजेपी की क्या मजबूती?
बात सबसे पहले एमपी की करनी चाहिए जहां पर इस बार बीजेपी पहले की तुलना में ज्यादा मजबूत दिखाई दे रही है। 2003 से लगातार सत्ता में चल रही पार्टी के सामने एंटी इनकमबैंसी की एक चुनौती जरूर है, लेकिन शिवराज सिंह चौहान की मामा वाली छवि और उनकी कुछ जनकल्याण योजनाओं ने जमीन पर पार्टी के पक्ष में माहौल को बनाने का काम किया है। इस समय एमपी में लाडली बहना स्कीम पूरी तरह से सक्रिय हो चुकी है। इस योजना के तहत 23 से 60 साल की उम्र की महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये दिए जा रहे हैं। इस योजना के दूसरी किश्त में तो 1.25 करोड़ रुपये दे दिए गए हैं।
शिवराज की वो योजना जो बना रही खेल
अब ये एक ऐसी योजना है जो बीजेपी को चुनावी मौसम में सीधा फायदा पहुंचा सकती है। वैसे भी महिला वोटरों के बीच में शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता काफी ज्यादा है। उन्हें जो मामा की उपाधि मिली है, उसमें भी इन महिलाओं का एक बड़ा हाथ है। ऐसे में अपने कोर वोटर को फिर साधकर एमपी में बीजेपी अपनी नैया को पार लगाना चाहती है। एक आंकड़ा ये भी बताता है कि मध्य प्रदेश में महिला वोटरों की संख्या में 2.79 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, 18 निर्वाचन क्षेत्र तो ऐसे सामने आए हैं जहां पर महिलाएं, पुरुषों की तुलना में ज्यादा हैं। गांव की कई सीटों पर तो ये समीकरण और ज्यादा मजबूत दिखाई देता है।
ऐसे में बीजेपी अपनी योजनाओं के जरिए इस वोटर को लुभाकर एमपी में अपना काम निकाल सकती है। लेकिन बात जब राजस्थान और छत्तीसगढ़ की आती है तो वहां भी ऐसी ही कुछ योजनाएं चल रही हैं। जैसे बीजेपी की जनकल्याण योजाना जमीन पर असर दिखा रही है, उसी तर्ज पर गहलोत सरकार ने भी कुछ योजनाएं लागू कर रखी हैं। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस ने ऐसे ही कुछ खास वर्ग को लुभाने का काम किया है।
गहलोत का बड़ा दांव, बीजेपी हो जाएगी फेल?
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि चुनावी राज्य राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चिरंजीवी योजना चला रखी है। इस योजना के तहत पहले प्रत्येक परिवार को 5 लाख तक का एक साल में कैशलेस इलाज मिलता था। बाद में उस आंकड़े को बढ़ाकर 10 लाख तक कर दिया गया। अब वर्तमान में 25 लाख तक के कैशलेस इलाज की बात की जा रही है। माना जा रहा है कि इस योजना ने कांग्रेस को गरीबों के बीच में काफी लोकप्रिय कर दिया है। बीजेपी के पास भी बताने के लिए आयुष्मान योजना है, लेकिन राजस्थान में चिरंजीवी ज्यादा सुर्खियां बटोरती दिख रही है।
यानी कि राजस्थान में पार्टी की राह कुछ मुश्किल हो सकती है। एमपी में भी कर्नाटक की तर्ज पर कांग्रेस ने 50% कमीशन वाली सरकार का नारा भी दे दिया है। मतलब साफ बीजेपी एमपी में शिवराज फैक्टर पर निर्भर कर रही है तो वहीं कांग्रेस कर्नाटक फॉर्मूले के जरिए एक और राज्य को अपनी झोली में डालने का प्रयास करने जा रही है।