17वीं लोकसभा में 21 जून को तीन तलाक पर बहस शुरू हुई। नई लोकसभा में सबसे पहले यही मुद्दा बहस के लिए उठाया गया। इस दौरान व्यवस्था बनाने में स्पीकर ओम बिरला को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। लेकिन, उन्होंने काफी कुशलता और सख्ती का परिचय दिया।
व्यवधान पैदा कर रहे सांसदों से उन्होंने साफ कहा- आप अपनी जगह पर बैठें और आपस में बातचीत नहीं करें। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी से स्पीकर ने कहा- अधीर रंजन जी, आप अपने आसन पर बैठ जाइए और अगर बात करनी है तो बाहर जाकर कर सकते हैं।
शोर-शराबे के मद्देनजर बिरला ने व्यवस्था दी कि मंत्री के बयान के अलावा कुछ रिकॉर्ड में नहीं जाएगा। मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक पर मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019 पेश करने के लिए इजाजत मांगते हुए इसके पक्ष में दलील रखी। इससे पहले एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसका विरोध किया। प्रसाद के वक्तव्य के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने मतदान कराया और इसके नतीजे के आधार पर बिल पेश करने की इजाजत दे दी।
इससे पहले केंद्रीय विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल 2019 पेश होने के बाद कि जनता ने हमें यहा कानून बनाने के लिए चुना है। हमारा यह काम है कि हम उनके लिए कानून बनाएं। उन्होंने कहा कि कानून पर तर्क करना अदालत का काम है। उन्होंने कहा कि यह सवाल न इबादत का है ना पूजा का है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ये सवाल नारी गरिमा, नारी इंसाफ का है। रविशंकर ने प्रसाद ने तीन तलाक बिल के पक्ष में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इस कानून से तीन तलाक के पीड़ितों को न्याय मिलेगा।
इससे पहले विपक्ष ने बिल में सजा के प्रावधान पर ऐतराज जताया। तीन तलाक बिल को 16वीं लोकसभा में भी पेश किया गया था। बिल पहले भी लोकसभा से पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद यह बिल कानून की शक्ल नहीं ले पाया था। इस बार सरकार ने फिर से इस बिल को पेश किया है। सरकार को उम्मीद है कि इस बार बिल राज्यसभा की बाधा को भी पार कर जाएगा।