Election 2019 Updates: भाजपा ‘‘मिशन 2019’’ की शुरुआत 11-12 जनवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक से करेगी जहां देशभर के पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘जीत’ का मंत्र देंगे । यह अब तक की सबसे बड़ी राष्ट्रीय परिषद होगी, जिसमें देशभर से लगभग 12 हजार प्रमुख कार्यकर्ता जुटेंगे। बैठक के समापन भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मिशन 2019’ के लिए पार्टी का मुख्य चुनावी नारा भी देंगे। इस बारे में पूछे जाने पर भाजपा मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख एवं राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने ‘‘भाषा’’ को बताया कि यह देश भर के पार्टी कार्यकर्ताओं का ‘महासंगम’ होगा जहां से हम अपने विजय अभियान की शुरूआत करेंगे ।
उन्होंने कहा कि इस बैठक में हर प्रदेश से पार्टी कार्यकर्ता आयेंगे । बैठक के दौरान प्रस्ताव भी पास होंगे । उल्लेखनीय है कि भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब कुछ ही समय पहले पार्टी को हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस से पराजय का सामना करना पड़ा जहां उसकी सरकार थी । इसके साथ ही देश में राम मंदिर का मुद्दा भी सुर्खियों में है । इस विषय पर आरएसएस समेत हिन्दुवादी संगठन मंदिर निर्माण के लिये कानून बनाने की मांग कर रहे हैं । दूसरी ओर कांग्रेस किसानों की रिण माफी और राफेल सौदे को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है।
यह बैठक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से तेलुगु देशम पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, असम गण परिषद के अलग होने तथा शिवसेना, अपना दल (एस), ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के साथ तल्ख रिश्तों की पृष्ठभूमि में हो रही है। समझा जाता है कि इन्हीं चुनौतियों के बीच सरकार ने समान्य वर्ग के गरीब लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसला किया । इस संबंध में संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा की मंजूरी मिल गई है।
यह पहला मौका है जब भाजपा अपनी राष्ट्रीय परिषद की बैठक को विस्तृत स्वरूप देने जा रही है। इसमें हर लोकसभा क्षेत्र के लगभग दस प्रमुख नेता हिस्सा लेंगे। बैठक में सभी सांसदों, विधायकों, परिषद के सदस्यों, जिला अध्यक्षों व महामंत्रियों के साथ हर क्षेत्र के विस्तारकों को भी बुलाया गया है ।
बैठक में राजनीतिक व आर्थिक मुद्दों समेत तीन प्रमुख प्रस्तावों पारित किये जाने की संभावना है । इसमें राम मंदिर के मुद्दे पर भी पार्टी का रूख स्पष्ट किया जा सकता है।
समझा जाता है कि बैठक में कांग्रेस और उसकी सर्मिथत सरकारों के साठ साल के कामकाज की तुलना भी रखी जाएगी और बताया जाएगा कि वर्तमान सरकार के दौरान कितनी तेजी से विकास हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा जोर भ्रष्टाचारमुक्त सरकार पर दिया जायेगा और कांग्रेस की पिछली सरकारों के घोटालों की तुलना करते हुए भाजपा अपनी बेदाग सरकार को जनता के सामने लेकर जाएगी। सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय परिषद की बैठक दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित हो रही है। बैठक में 12,000 पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के शामिल होने की संभावना है।
महासचिव अनिल जैन के अनुसार, रामलीला मैदान में होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक लोकसभा चुनाव से पहले सबसे बड़ी बैठक होगी। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय और राज्यों के पदाधिकारियों समेत अन्य नेता भी शामिल होंगे।बहरहाल, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मौजूद रहेंगे। रामलीला मैदान के मंच के पिछले हिस्से में प्रधानमंत्री कार्यालय और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के लिए अस्थायी कार्यालय बनाया गया है । प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए जो सुविधाएं जरूरी होती हैं, वह अस्थायी कार्यालय में उपलब्ध होंगी। वहीं, भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के लिए भी व्यवस्था की गई है। राष्ट्रीय परिषद की बैठक के साथ-साथ यहां बड़े नेताओं की छोटी बैठक का भी इंतजाम किया जा रहा है।
लोकसभा चुनाव की तैयारियों को आगे बढ़ाते हुए भाजपा अपने विभिन्न मोर्चो का भी अधिवेश आयोजित कर रही है। इस संदर्भ में भाजपा युवा मोर्चा और महिला मोर्चा की बैठक हो गई है। भाजपा की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की बैठक 2 और 3 फरवरी को भुवनेश्वर में होगी जबकि ओबीसी मोर्चा की बैठक 15 और 16 फरवरी के पटना में होगी। पार्टी की अनुसूचित जाति मोर्चा की बैठक 19 और 20 जनवरी को नागपुर में होगी जिसमें अमित शाह हिस्सा लेंगे। 21 और 22 फरवरी को भाजपा किसान मोर्चे का राष्ट्रीय अधिवेशन उत्तर प्रदेश में होगा, जिसको प्रधानमंत्री मोदी भी संबोधित करेंगे । 31 जनवरी और एक फरवरी को भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे का राष्ट्रीय अधिवेशन दिल्ली में होगा ।
Highlights
भाजपा ‘‘मिशन 2019’’ की शुरुआत 11-12 जनवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक से करेगी जहां देशभर के पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘जीत’ का मंत्र देंगे । यह अब तक की सबसे बड़ी राष्ट्रीय परिषद होगी, जिसमें देशभर से लगभग 12 हजार प्रमुख कार्यकर्ता जुटेंगे। बैठक के समापन भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मिशन 2019’ के लिए पार्टी का मुख्य चुनावी नारा भी देंगे। इस बारे में पूछे जाने पर भाजपा मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख एवं राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने ‘‘भाषा’’ को बताया कि यह देश भर के पार्टी कार्यकर्ताओं का ‘महासंगम’ होगा जहां से हम अपने विजय अभियान की शुरूआत करेंगे ।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री कदम ने मंगलवार की शाम संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे (भाजपा) पांच राज्यों में पहले ही चुनाव हार चुके हैं। ... न तो महाराष्ट्र में आएं और न ही हमें धमकाएं वरना हम आपको दफना देंगे। मत भूलिए कि (मोदी) लहर के बावजूद हमने 63 सीटें जीती थी।’’ शिवसेना को परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए, शाह ने रविवार को कहा था कि यदि गठबंधन हुआ, तो भाजपा अपने सहयोगियों के लिए जीत सुनिश्चित करेगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी।
केंद्र सरकार के, सामान्य श्रेणी के गरीबों के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने संबंधी विधेयक के बारे में पूछे जाने पर, कदम ने कहा कि मराठा, धनगर और मुसलमानों के लिए कोटा पहले से ही है।
भाजपा ने इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) के दिवंगत विधायक हरि चंद मिड्ढा के पुत्र कृष्ण मिड्ढा को जींद उपचुनाव के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया है।
हरियाणा के जींद में 28 जनवरी को उपचुनाव होने हैं। हरि चंद मिड्ढा का अगस्त में निधन हो जाने के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराना अनिवार्य हो गया था। कृष्ण मिड्ढा हाल में भाजपा में शामिल हुए थे। वह इस निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा उम्मीवार बनने की दौड़ में सबसे आगे थे। हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष सुभाष बराला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने बातचीत करने और कई कारकों पर ध्यान देने के बाद निर्णय लिया कि कृष्ण मिड्ढा जींद उपचुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवार होंगे।’’ निर्वाचन आयोग ने 31 दिसंबर को घोषणा की थी कि जींद विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव 28 जनवरी को होंगे और परिणामों की घोषणा 31 जनवरी को की जाएगी।
नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया तीन जनवरी को आरंभ हुई थी और उम्मीदवारों के लिए दस्तावेज दाखिल करने की अंतिम तिथि 10 जनवरी है। कांग्रेस, इनेलो और जननायक जनता पार्टी के आज बाद में अपने उम्मीदवार घोषित करने की उम्मीद है।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने भाजपा को "दफना" देने की धमकी दी है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कथित तौर पर कहा था कि यदि लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन नहीं हुआ, तो उनकी पार्टी अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी। कदम की टिप्पणी इसी संदर्भ में आई है। वर्तमान में केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी शिवसेना के सदस्य कदम ने यह भी कहा कि 2014 के राज्य विधानसभा चुनाव में ''मोदी लहर'' के बावजूद, कुल 288 में से 63 सीटों पर शिवसेना ने जीत हासिल की थी।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री कदम ने मंगलवार की शाम संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे (भाजपा) पांच राज्यों में पहले ही चुनाव हार चुके हैं। ... न तो महाराष्ट्र में आएं और न ही हमें धमकाएं वरना हम आपको दफना देंगे। मत भूलिए कि (मोदी) लहर के बावजूद हमने 63 सीटें जीती थी।’’ शिवसेना को परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए, शाह ने रविवार को कहा था कि यदि गठबंधन हुआ, तो भाजपा अपने सहयोगियों के लिए जीत सुनिश्चित करेगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने भाजपा को "दफना" देने की धमकी दी है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कथित तौर पर कहा था कि यदि लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन नहीं हुआ, तो उनकी पार्टी अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी। कदम की टिप्पणी इसी संदर्भ में आई है। वर्तमान में केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी शिवसेना के सदस्य कदम ने यह भी कहा कि 2014 के राज्य विधानसभा चुनाव में ''मोदी लहर'' के बावजूद, कुल 288 में से 63 सीटों पर शिवसेना ने जीत हासिल की थी।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री कदम ने मंगलवार की शाम संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे (भाजपा) पांच राज्यों में पहले ही चुनाव हार चुके हैं। ... न तो महाराष्ट्र में आएं और न ही हमें धमकाएं वरना हम आपको दफना देंगे। मत भूलिए कि (मोदी) लहर के बावजूद हमने 63 सीटें जीती थी।’’ शिवसेना को परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए, शाह ने रविवार को कहा था कि यदि गठबंधन हुआ, तो भाजपा अपने सहयोगियों के लिए जीत सुनिश्चित करेगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने भाजपा को "दफना" देने की धमकी दी है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कथित तौर पर कहा था कि यदि लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन नहीं हुआ, तो उनकी पार्टी अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी। कदम की टिप्पणी इसी संदर्भ में आई है। वर्तमान में केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी शिवसेना के सदस्य कदम ने यह भी कहा कि 2014 के राज्य विधानसभा चुनाव में ''मोदी लहर'' के बावजूद, कुल 288 में से 63 सीटों पर शिवसेना ने जीत हासिल की थी।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री कदम ने मंगलवार की शाम संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे (भाजपा) पांच राज्यों में पहले ही चुनाव हार चुके हैं। ... न तो महाराष्ट्र में आएं और न ही हमें धमकाएं वरना हम आपको दफना देंगे। मत भूलिए कि (मोदी) लहर के बावजूद हमने 63 सीटें जीती थी।’’ शिवसेना को परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए, शाह ने रविवार को कहा था कि यदि गठबंधन हुआ, तो भाजपा अपने सहयोगियों के लिए जीत सुनिश्चित करेगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने भाजपा को "दफना" देने की धमकी दी है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कथित तौर पर कहा था कि यदि लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन नहीं हुआ, तो उनकी पार्टी अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी। कदम की टिप्पणी इसी संदर्भ में आई है। वर्तमान में केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी शिवसेना के सदस्य कदम ने यह भी कहा कि 2014 के राज्य विधानसभा चुनाव में ''मोदी लहर'' के बावजूद, कुल 288 में से 63 सीटों पर शिवसेना ने जीत हासिल की थी।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री कदम ने मंगलवार की शाम संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे (भाजपा) पांच राज्यों में पहले ही चुनाव हार चुके हैं। ... न तो महाराष्ट्र में आएं और न ही हमें धमकाएं वरना हम आपको दफना देंगे। मत भूलिए कि (मोदी) लहर के बावजूद हमने 63 सीटें जीती थी।’’ शिवसेना को परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए, शाह ने रविवार को कहा था कि यदि गठबंधन हुआ, तो भाजपा अपने सहयोगियों के लिए जीत सुनिश्चित करेगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने भाजपा को "दफना" देने की धमकी दी है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कथित तौर पर कहा था कि यदि लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन नहीं हुआ, तो उनकी पार्टी अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी। कदम की टिप्पणी इसी संदर्भ में आई है। वर्तमान में केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी शिवसेना के सदस्य कदम ने यह भी कहा कि 2014 के राज्य विधानसभा चुनाव में ''मोदी लहर'' के बावजूद, कुल 288 में से 63 सीटों पर शिवसेना ने जीत हासिल की थी।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री कदम ने मंगलवार की शाम संवाददाताओं से कहा, ‘‘वे (भाजपा) पांच राज्यों में पहले ही चुनाव हार चुके हैं। ... न तो महाराष्ट्र में आएं और न ही हमें धमकाएं वरना हम आपको दफना देंगे। मत भूलिए कि (मोदी) लहर के बावजूद हमने 63 सीटें जीती थी।’’ शिवसेना को परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए, शाह ने रविवार को कहा था कि यदि गठबंधन हुआ, तो भाजपा अपने सहयोगियों के लिए जीत सुनिश्चित करेगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी।
सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को चर्चा एवं पारित कराने के लिए राज्यसभा में पेश किया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के बीच संविधान (124वां संशोधन) विधेयक 2019 चर्चा एवं पारित करने के लिए सदन में रखा।
लोकसभा इस विधेयक को मंगलवार को पारित कर चुकी है। इस विधेयक को उच्च सदन में पारित करने के लिए इसकी बैठक को एक दिन के लिए बढ़ाया गया है। कांग्रेस के सदस्य चाहते थे कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह पहले सदन में आए और नागरिकता संबंधी विधेयक पर बयान दें। नागरिकता संबंधी विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। गहलोत ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक सामान्य वर्ग के गरीबों को शिक्षा एवं रोजगार में दस प्रतिशत आरक्षण प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इससे समाज के बड़े वर्ग को लाभ मिलेगा।
सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को चर्चा एवं पारित कराने के लिए राज्यसभा में पेश किया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के बीच संविधान (124वां संशोधन) विधेयक 2019 चर्चा एवं पारित करने के लिए सदन में रखा।
लोकसभा इस विधेयक को मंगलवार को पारित कर चुकी है। इस विधेयक को उच्च सदन में पारित करने के लिए इसकी बैठक को एक दिन के लिए बढ़ाया गया है। कांग्रेस के सदस्य चाहते थे कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह पहले सदन में आए और नागरिकता संबंधी विधेयक पर बयान दें। नागरिकता संबंधी विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। गहलोत ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक सामान्य वर्ग के गरीबों को शिक्षा एवं रोजगार में दस प्रतिशत आरक्षण प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इससे समाज के बड़े वर्ग को लाभ मिलेगा।
लोकसभा में एक दिन पहले ही पारित नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध कर रहे कांग्रेस सदस्यों ने बुधवार को राज्यसभा में हंगामा किया जिसके कारण उच्च सदन की बैठक करीब 11:35 बजे दोपहर 12 बजे तक के लिये स्थगित कर दी गयी। इससे पहले सदन की बैठक एक दिन के लिये बढ़ाये जाने को लेकर अन्नाद्रमुक, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के सदस्यों ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। सदन की बैठक सुबह 11 बजे शुरु होने पर अन्नाद्रमुक के एस आर बालासुब्रमण्यम और तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने सदन की बैठक के विस्तार पर व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुये सदन संचालन संबंधी नियमों का उल्लंघन होने का आरोप लगाया।
संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने कहा कि दस दिन तक हंगामे की भेंट चढ़ी कार्यवाही की विपक्ष ंिचता नहीं कर रहा है। अति महत्वपूर्ण दो विधेयकों नागरिकता संशोधन विधेयक और सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिये संविधान संशोधन विधेयक पारित कराने के लिये सदन की बैठक एक दिन बढ़ानी पड़ी।
महबूबा सरकार में वित्त मंत्री रहे अल्ताफ बुखारी ने राज्य में एक पार्टी के शासन की वापसी के लिए उमर के आह्वान का समर्थन किया। बुखारी अब पीडीपी के साथ नहीं हैं। बुखारी ने एक बयान में कहा, "मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि गठबंधन की राजनीति के कारण कश्मीर को बहुत नुकसान हुआ है जो 2002 से शुरू हुआ था। आने वाले विधानसभा चुनावों के परिणाम का राज्य में स्थिरता और सर्वांगीण विकास पर बहुत असर पड़ेगा।
महबूबा मुफ्ती ने केंद्र में भाजपा सरकार का हवाला देते हुए मंगलवार को कहा कि केंद्र में गठबंधन की सरकारें एकल-पार्टी की बहुमत वाली सरकार से बेहतर परिणाम देती हैं। उमर अब्दुल्ला के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदेश के लोगों से किसी एक पार्टी को स्पष्ट जनादेश देने की अपील की थी। महबूबा ने ट्वीट किया, "राज्य में नेशनल कांफ्रेंस को प्रचंड बहुत मिला था, विधानसभा में उसकी 60 सीटें थी । पार्टी ने पावर हाउस बेच दिये और इखवान, टास्क फोर्स और पोटा लेकर आयी।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की अगुवाई में गठबंधन सरकार ने उपलब्धियों की नयी उंचाइयों को छुआ ।’ उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के बाद के दौर में, गठबंधन सरकारों ने एकल पार्टी के शासन की तुलना में बेहतर परिणाम दिए। उन्होंने कहा, "राष्ट्रीय स्तर पर भी लगता है कि इंदिरा गांधी के बाद के दौर में, गठबंधन सरकारों ने बहुमत वाले पार्टी शासन की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री एवं बीजू जनता दल (बीजद) प्रमुख नवीन पटनायक ने मंगलवार को यहां कहा कि विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल होने के विषय पर फैसला उनकी पार्टी बाद में करेगी क्योंकि उसे अपने निर्णय को ठोस रूप देने के लिए कुछ वक्त चाहिए। धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने की मांग को लेकर यहां बीजद के धरना में भाग लेते हुए पटनायक ने आरोप लगाया कि भाजपा ने 2014 के अपने चुनाव घोषणा पत्र में इस बारे में वादा करने के बावजूद इस मांग की अनदेखी की।
महागठबंधन में शामिल होने के बारे में उनकी पार्टी का रूख पूछे जाने पर पटनायक ने कहा, ‘‘हमें कुछ वक्त लगेगा और इस बारे में विचार करेंगे।’’ गौरतलब है कि भाजपा ने ओडिशा में अपना आधार बढ़ाने की कोशिश तेज कर दी है जहां 2014 के आम चुनाव में पार्टी ने 21 लोकसभा सीटों में मात्र एक पर जीत हासिल की थी। बीजद ने 20 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी।