लोकसभा चुनाव के परिणामों से बीजेपी को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश से लगा है। जहां पार्टी को 2019 लोकसभा चुनाव की 62 सीटों के मुकाबले सिर्फ 33 सीटें मिली हैं। अब खबर है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पार्टी आलाकमान ने दिल्ली बुलाया है। माना जा रहा है कि पार्टी उत्तर प्रदेश के चुनाव पर अलग से एक मीटिंग कर मंथन करने वाली है। उनके साथ दोनों डिप्टी सीएम भी दिल्ली आने वाले हैं।
योगी को दिल्ली बुलाए जाने के क्या हैं मायने?
उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन से बीजेपी को काफी निराशा हाथ लगी है। पार्टी सूत्रों के हवाले से यह माना जाता है कि बीजेपी को सबसे ज्यादा उम्मीद उत्तर प्रदेश से ही थी जहां उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में सीएम योगी को दिल्ली बुलाए जाने पर कई तरह की बातें हो सकती हैं और मायने निकाले जा सकते हैं।
यूपी की बैठक के बाद बीजेपी संसदीय दल की बैठक भी होगी जिसमें पीएम मोदी को नेता के तौर पर चुना जाएगा। यह बैठक संसद के सेंट्रल हॉल में होगी और इसमे बीजेपी शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होने वाले हैं। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार का जिम्मेदार कौन है और किन मुद्दों पर पार्टी को विफलता हाथ लगी है इसपर पार्टी मंथन कर सकती है।
UP में कई सीटों पर हार : क्यों BJP निराश?
लोकसभा चुनाव-2019 और 2014 दोनों बार बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपना दबदबा बरकरार रखा था। लेकिन इस बार पार्टी काफी सिमटती हुई दिखाई दी। क्यों यह हार एक बड़ी हार के तौर पर देखी जा रही है, समझिए–
-7 केंद्रीय मंत्री और योगी सरकार के दो मंत्री तक इस चुनाव में अपनी सीट नहीं बचा सके।
– इस बीच भाजपा को 17 अनुसूचित जाति आरक्षित सीटों में से केवल आठ पर जीत मिली। 2019 में यह आंकड़ा 15 का था।
– उत्तर प्रदेश में BJP का खराब प्रदर्शन उस धारणा को भी ठेस पहुंचा रहा है जिसमें सीएम योगी के बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए बनाया गया था और कहा जाता था कि वह अपने कुशल नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं और मतदाताओं के साथ उनका जुड़ाव मजबूत है।
-यूपी पर ज़्यादा सवाल उठाना इसलिए भी वाजिब माना जा सकता है कि भाजपा ने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, बिहार और झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन यहां क्या कमी रही?
-अब तक उत्तर प्रदेश को बीजेपी का सबसे मजबूत किला माना जाता रहा था लेकिन इस परिणाम से यह धारणा टूट रही है।
-पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की हार महत्वपूर्ण है, जहां ऐसा माना जाता था कि योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर और वाराणसी के तहत काफी प्रभाव रखते हैं लेकिन इसका असर चुनाव पर नहीं दिखाई दिया। यहां अयोध्या की हार भी काफी चर्चा में है, जहां राम मंदिर के निर्माण जैसे मुद्दे के बावजूद बीजेपी को हार मिली है।