Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। जल्द ही तारीखों का ऐलान हो सकता है। लेकिन सीट बंटवारे को लेकर पेच फिलहाल फंसा हुआ है। इसी बीच बिहार में चिराग पासवान बनाम चाचा पशुपति पारस की बात आई तो बीजेपी ने एक पक्ष को चुन लिया है। भले ही इससे नीतीश कुमार की नाराजगी मोल लेनी पड़ी हो, जो हाल ही एनडीए अलायंस में वापस लौटे हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने चिराग पासवान की पांच सीटों की मांग मान ली है। इसमें हाजीपुर सीट भी शामिल है। इसी सीट से चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान 7 बार चुने गए थे और 2019 में चाचा पशुपति पारस ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी के एनडीए अलांयस ने बिहार में बढ़त बना ली है। पार्टी लोकसभा की 40 सीटों में से 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और नीतीश कुमार की पार्टी को 16 सीटें मिली हैं। साथ ही, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को पांच सीटें दी गई हैं। उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी की पार्टी एक-एक सीट पर चुनाव लड़ेगें।
बीजेपी ने चिराग पर क्यों जताया भरोसा
चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों ही बीजेपी से 6 लोकसभा सीटों की मांग कर रहे थे। इसमें दोनों हाजीपुर सीट को लेकर भिड़े हुए थे। चिराग इस सीट से आगामी लोकसभा इलेक्शन लड़ना चाहते थे लेकिन चाचा पशुपति इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है। बीजेपी ने कई दौर की बैठक के बाद दोनों की सुलह करवाने की बहुत कोशिश की थी लेकिन वह कामयाब ना हो सके। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चिराग पासवान को हाजीपुर की सीट भी दे दी गई है। वहीं, चाचा पशुपति पारस को गठबंधन में एक भी सीट नहीं दी है।
भाजपा ने यह साफ कर दिया है कि वह चिराग पासवान को अपने पिता के आधार का सच्चा राजनीतिक उत्तराधिकारी मानती है। नीतीश कुमार की चिराग पासवान के साथ कटुता बनी हुई है। चिराग पासवान का पासवान वोटों पर कब्जा है। बिहार बीजेपी के नेता भी यह समझ रहे हैं कि जमीन पर पासवान वोटर्स का बड़ा तबका चिराग के ही साथ है। नीतीश कुमार के बीजेपी को छोड़ने के बाद बीजेपी ने चिराग पासवान से संपर्क किया। भले ही उनके चाचा ने मोदी मंत्रिमंडल में जगह बनाई।
बीजेपी और चिराग पासवान के बीच कई दौर की बातचीत चली थी। इसके बाद ही किसी रिजल्ट पर जाकर पहुंचे हैं। इससे पहले लालू प्रसाद यादव की आरजेडी ने उन्हें 8 सीटों का ऑफर दिया था। हालांकि, उन्होंने बीजेपी के साथ पांच सीटों पर समझौता करना मुनासिफ समझा। बता दें कि बिहार में मेजर वोट प्रतिशत जेडीयू, आरजेडी और बीजेपी के साथ डबल डिजिट में है। पासवान की पार्टी का लोकसभा इलेक्शन में वोट शेयर 6 प्रतिशत है। यह चिराग पासवान के साथ है। इनके पिता रामविलास पासवान समुदाय के सबसे प्रभावशाली नेता है।
एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी के बावजूद अलायंस में चिराग पासवान ने अपनी मजबूत जगह बनाई थी। चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को फोन भी नहीं किया और बीजेपी के नेतृत्व ने बातचीत के बाद उनकी सीटों की मांग को मान लिया है। इससे पशुपति पारस गुट बुरी तरह से पिछड़ गया है।
2021 में क्या हुआ था
बता दें कि रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद साल 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्सों में बंट गई थी। इसका एक गुट राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी पशुपति कुमार पारस के साथ है। वहीं एक गुट रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान के साथ है। लोक जनशक्ति पार्टी को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 6 सीटें मिली थी। इन सभी 6 सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी ने बाजी मारी थी। पार्टी में फूट के बाद एलजेपी के साथ 5 सांसद हैं और चिराग पासवान जमुई सीट से सांसद हैं। हालांकि, चिराग पासवान इसके बाद एलजेपी (आर) को रामविलास की मूल पार्टी कहते हैं।