Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर चुनाव आयोग ने शंखनाद कर दिया है। 19 अप्रैल से 7 अलग-अलग चरणों में वोटिंग होगी और 4 जून को यह तय हो जाएगा कि नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे या कांग्रेस 2004 का करिश्मा दोहरा पाएगी। इसको लेकर कांग्रेस पार्टी (Congress) ने कई स्तर पर समझौता किया है। जिन राज्यों में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव ज्यादा है वहां कांग्रेस ने इंडिया ग्रुप (INDIA Alliance) के तहत गठबंधन किया है और जहां सत्ता में है वहां अकेले रहकर बीजेपी (BJP) से टकराने की प्लानिंग कर रही है।
खास बात यह है कि बीजेपी से लड़ने के लिए ताकत दिखा रही कांग्रेस की स्थिति हिंदी बेल्ट में काफी खराब है और पिछले साल कर्नाटक विधानसभा में मिली जीत के चलते पार्टी को ज्यादा ताकत मिली थी। कर्नाटक बीजेपी के लिए भी अहम है, क्योंकि राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से पिछली बार बीजेपी ने 26 सीटें अपने नाम की थी। इस बार बीजेपी ने जेडीएस के साथ गठबंधन भी किया है।
ऐसे में बीजेपी को कर्नाटक में रोकने के लिए कांग्रेस ने मास्टरप्लान तैयार किया है। यह प्लान बल्कि कांग्रेस ने पूरे दक्षिण भारत में ही अप्लाई किया है, जिससे उत्तर भारत में कांग्रेस को पछाड़ने वाली बीजेपी को रोका जा सके। इस प्लान के तहत कांग्रेस कर्नाटक में अपने दिग्गजों को लोकसभा चुनावों में उतार रही है।
कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ बनाया है मास्टरप्लान
कांग्रेस पार्टी का प्लान है कि जिस बीजेपी को कर्नाटक से लोकसभा के लिए अहम मजबूती मिलती है, वहां सत्ता का संभावित फायदा उठाकर राज्य में बीजेपी को बड़ा नुकसान पहुंचाया जा सके। पार्टी ने अभी तक 28 में से 7 सीटों पर प्रत्याशियों को उतारा है। अभी भी 21 सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने हैं और पार्टी कर्नाटक सरकार में काबिज अपने कई मंत्रियों और विधायकों को लोकसभा चुनाव में उतारने की तैयारी कर रही है।
दिग्गजों को उतारने के पीछे की वजह
अभी तक जो प्रत्याशियों की लिस्ट जारी हुई है जिसमें कोई भी मंत्री या विधायक नहीं है पार्टी इन मंत्रियों और विधायकों को उतारकर, उनके कद का फायदा लेकर बीजेपी को टक्कर देने की पॉजिटिव प्लानिंग तो कर रही है लेकिन चुनौती यह है कि पार्टी को प्रत्याशी ही नहीं रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी कई विधायकों और मंत्रियों को लड़ने के लिए फोर्स कर रही है उनके साथ मानमनौव्वल भी किया जा रहा है।
पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ कर्नाटक में नए प्रत्याशियों पर ज्यादा दांव नहीं लगाना चाहती है, जिससे बीजेपी प्रत्याशियों के चुनाव आसान हो। पार्टी उन ही नेताओं पर फोकस कर रही है जो कि सार्वजनिक तौर पर लंबा राजनीतिक अनुभव रखते हों और जनता के बीच अपनी पकड़ हो।
कांग्रेस को कर्नाटक में नहीं मिल रहे उम्मीदवार
चुनौतीपूर्ण बात यह है कि पार्टी को प्रत्याशी चुनने में मुश्किल आ रही है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व 7-8 मंत्रियों और कई विधायकों को चुनाव लड़ने के लिए मना रही है। इसकी वजह यह है कि पार्टी को बीजेपी से लड़ने के लिए पॉपुलर प्रत्याशी मिल ही नहीं रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गृहमंत्री जी परमेश्वर ने हाल में कहा था कि पार्टी में सात से आठ मंत्रियों को मैदान में उतारने पर चर्चा चल रही है। कांग्रेस द्वारा जिन मंत्रियों और दिग्गज नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए मनाया जा रहा है उनके नामों को लेकर सूत्रों का कहना है कि इनके नाम कांग्रेस चामराजनगर से एच सी महादेवप्पा, कोलार से के एच मुनियप्पा, बेल्लारी से बी नागेंद्र, बेलगाम से सतीश जारकीहोली, बीदर से ईश्वर खांद्रे और बंगलूरू उत्तर से कृष्णा बायरे गौड़ा शामिल हैं।
परिजनों को लड़ाना चाहते हैं मंत्री और विधायक
वहीं खबरें यह भी बता रही है कि मंत्री खुद चुनाव लड़ने के बजाए अपने ही परिवार के सदस्यों को उम्मीदवार बनाने की प्लानिंग कर रही है। सूत्रों बताते हैं कि पार्टी नेतृत्व इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर उनके परिजनों को मैदान में उतारा गया तो इससे जनता में नकारात्मक संदेश जा सकता है और परिवारवाद पर हमला बोलने वाली बीजेपी को बड़ा मुद्दा भी मिल सकता है। इसके चलते यह फैसला पूरी तरह से अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के फैसले पर छोड़ दिया गया है।
ओपनियन पोल्स ने बढ़ाई धुकधुकी
कर्नाटक लोकसभा चुनावों को लेकर कई ओपिनियन पोल्स किए गए थे, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि जेडीएस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली बीजेपी कर्नाटक में 20-25 सीटें हासिल करने में सफल हो सकती है, जबकि कांग्रेस को 3-8 सीटें मिल सकती हैं। ऐसे में ये अलग-अलग ओपिनयन पोल्स धुकधुकी बढ़ा रहे हैं क्योंकि कांग्रेस ने पिछले ही साल विधानसभा चुनाव के दौरान ही प्रचंड बहुमत हासिल किया था लेकिन ओपनियन पोल्स लोकसभा को लेकर बीजेपी को बढ़त दिखा रहे हैं।
ऐसे में यह भी सवाल है कि ओपनियन पोल्स और भविष्य के सुरक्षित सियासी समीकरणों को लेकर कर्नाटक कांग्रेस के विधायक या मंत्री चुनाव लड़ने से परहेज कर रहे हैं। इसके चलते कांग्रेस के लिए चुनौती यह है कि दिग्गजों को उतारने के बेहतरीन प्लान्स के बावजूद प्रत्याशी चुनने को लेकर मुश्किलों का सामना कर रही है।
