लोकसभा चुनाव करीब आ गया है। ऐसे में प्रमुख विपक्षी दल और देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस गहन मंथन में जुटी है। कांग्रेस के सामने चुनाव के मैदान में उतरने से पहले कई चुनौतियों से पार पाना एक अहम टास्क की तरह है। पार्टी इस सप्ताह के आखिर में स्थापना दिवस के अवसर पर नागपुर में एक बड़ी रैली करने वाली है। लेकिन लोकसभा चुनाव के प्रचार को लेकर कई अहम सवालों पर पार्टी के भीतर चर्चा जारी है। इन सवालों में सबसे अहम कड़ी राहुल गांधी की दूसरे दौर की भारत जोड़ो यात्रा और विपक्षी गठबंधन इंडिया के साथ सीट शेयरिंग फोर्मूले से जुड़ी हैं।
किन चिंताओं से घिरी है कांग्रेस?
माना जा रहा है कि कांग्रेस के भीतर फिलहाल सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि INDIA गठबंधन के सहयोगियों के बीच सीट बंटवारा कैसे होगा? दूसरी तरफ DMK के नेताओं की समय-समय पर आने वाली टिप्पणियों से भी कांग्रेस में नाखुशी है। क्योंकि इससे हिन्दी भाषी राज्यों में बीजेपी को एक मुद्दा मिल रहा है और वह इसे भुनाने के पूरे प्रयास में हैं। हालांकि कांग्रेस ने दो दिन पहले ही संगठन में बड़े बदलाव किए हैं और कार्यकर्ताओं के भीतर आत्मविश्वास भरने की कोशिश की है। कांग्रेस ने हाल ही में हुई CWC बैठक में भी तीन भाषी राज्यों में हार को लेकर गहन चर्चा की, इस दौरान राहुल गांधी ने कई स्पष्ट संदेश भी पार्टी नेताओं को दिए।
कितनी सीटों पर चुनाव लड़ सकती है कांग्रेस?
कई नेताओं का मानना है कि कांग्रेस इस बार बहुत कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने 2019 में 421 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 52 सीटें जीती थीं। एक नेता ने कहा कि 300 से कम सीटों पर चुनाव लड़ना पार्टी के लिए मौत की घंटी साबित होगी। यह 1996 में उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ हुए गठबंधन जैसा होगा जहां कांग्रेस ने सिर्फ 126 सीटों पर चुनाव लड़ा था और अब उत्तर प्रदेश से पार्टी पूरी तरह गायब हो गई है। फिलहाल कांग्रेस ने सीटों के नंबर को लेकर किसी तरह का बयान साझा नहीं किया है। हालांकि कांग्रेस को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की हार से काफी झटका लगा है और अब पार्टी पूरी तरह लोकसभा चुनाव पर फोकस करना चाहती है।