आम चुनाव के मद्देनजर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने अपना चुनावी अभियान तेज कर दिया है। इन पार्टियों के चुनावी मैनेजमेंट भी सक्रिय होने लगे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की चुनावी मैनेजमेंट टीम लोकसभा इलेक्शन में पार्टी के पक्ष में हवा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। चुनाव में जब मुश्किल से 100 से दिन से कम रहे गए हैं, ऐसे में राहुल गांधी के चुनावी मैंनेजमेंट की टीम में शामिल पवन, मीनाक्षी, दिव्या, प्रवीण, रजनी, राजीव, ललीतेश, जयवीर, बिन्दु, सुष्मिता, सैम, कुमार, भालचंद्र और मिलंद जैसे कई सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स ने कमर कस ली है। हालांकि राहुल गांधी के चुनावी मैनेंजमेंट से कांग्रेस में व्यापक असंतोष है।
टेलीग्राफ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस कभी भी एक अनुशासित कैडर आधारित पार्टी नहीं रही। खबर में बताया गया कि पार्टी राहुल गांधी के मजबूत अभियान से खुद को ऊर्जावान महसूस कर रही है। मगर कांग्रेस में अधिकांश नेताओं का मानना है कि वह लोकसभा चुनाव जैसी बड़ी लडाई का नेतृत्व करने के लिए बेहतर लोगों का चयन कर सकते थे। रिपोर्ट के मुताबिक 42 सदस्यों वाली तीन समितियों में से 11 ने कभी कोई चुनाव ही नहीं लड़ा है। इसके अलावा समिति में कम से कम आठ सदस्य ऐसे हैं जो एक बार सांसद या विधायक चुने गए।
अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि स्वतंत्र भारत के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव का प्रबंधन करने के लिए गठित तीन समितियों में कम से कम 20 सदस्यों की कोई जरुरत नहीं है। ये लोग इसके लिए कुछ ‘सलाहकारों’ को दोषी ठहराते हैं जिन्होंने योग्यता और अनुभव पर जोर देने के बजाय अपने वफादारों या खेमे के लोगों को टीम में शामिल करने का विकल्प चुना। रिपोर्ट में बताया कि इन नेताओं को जयराम रमेश जैसे नेताओं के होने पर तो कोई आपत्ति नहीं हैं। हालांकि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा मगर वह तीन बार राज्य सभा से सांसद रहे हैं।
मगर कुछ दूसरों लोगों को समिति में शामिल किए जाने से नेताओं का एक बड़ा वर्ग नाराज है। रिपोर्ट के मुताबिक जब कांग्रेस के एक दिग्गज लोकसभा अध्यक्ष ने समिति से एक सदस्य से चुनावी तैयारी के बारे में पूछा तो उन्हें उसका जवाब बहुत अटपटा लगा। कांग्रेस नेता के मुताबिक समिति सदस्य ने कहा, ‘मुझे इसमें रुचि नहीं है। मैं दोबारा चुनाव जीत भी गया तो ताकत तो राहुल गांधी के राज्य सभा नेताओं के हाथ में होगी।’
