Assembly Elections: लोकसभा इलेक्शन में भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को छूने से काफी दूर रह गई है। इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों के देखते हुए पार्टी ने सोमवार को केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं के एक ग्रुप को महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड का प्रभारी नियुक्त किया है।

विधानसभा चुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं जब पार्टी बहुमत हासिल करने में दूर रही है। लोकसभा चुनाव से पहले लिए गए फैसले के कारण पार्टी के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं के एक वर्ग में काफी बेचैनी है। इसमें इलेक्शन मैनेजमेंट और उम्मीदवारों को चुनना भी शामिल है। आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान के बाद आने वाले चुनाव में संघ किस तरह का रुख अपनाता है। यह भी देखने लायक होगा।

संघ के साथ तालमेल बैठाना होगा

मोहन भागवत ने कहा कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता है और लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मर्यादा का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा गया। उनके इस बयान को बीजेपी नेतृत्व की आलोचना के रूप में देखा गया। झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव में आरएसएस कार्यकर्ताओं की भी बहुत अहम भूमिका होगी। बीते माह इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि पार्टी आरएसएस की मदद के बिना अपने काम खुद करने में सक्षम हो गई है। इस टिप्पणी के बाद संघ के अंदर कुछ हलचल मच गई।

एक बीजेपी के नेता ने कहा कि पार्टी के सभी चुनाव बहुत ही जरूरी है। हालांकि, नई राजनीतिक परिस्थितियों में इन चुनावों का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। इन चुनावों में जीत हासिल करना बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के लिए बहुत ही जरूरी हो गया है। इस समय राज्यों में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा की जा रही है कि कहां पर क्या कमी रह गई। खासतौर पर इसमें यूपी, राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र शामिल हैं। पार्टी के लिए जीत से ज्यादा जरूरी कुछ भी नहीं होगा।

यूपी, राजस्थान और हरियाणा में लोकसभा इलेक्शन के प्रदर्शन के शुरुआती आकलन के बाद बीजपी नेताओं ने पिछले हफ्ते इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि आलाकमान को इस बारे में गहराई से विचार करना होगा कि वह विधानसभा चुनावों में कैसे बढ़िया प्रदर्शन कर सकता है। एक नेता ने कहा कि अगर राज्य के चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन नहीं रहा तो काफी कुछ बदल सकता है।

किस-किस को मिली कमान

पिछले साल दिसंबर के महीने में मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए थे। इस चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव को महाराष्ट्र का बेड़ा दिया गया है। यादव को प्रभारी बनाया गया है। वहीं, वैष्णव को सह प्रभारी बनाया गया है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान हरियाणा के प्रभारी होंगे, जबकि त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब कुमार देब सह-प्रभारी होंगे। देब हरियाणा के प्रभारी सचिव की भूमिका भी अदा कर चुके हैं।

बीजेपी महासचिव अरुण सिंह की तरफ से जारी किए गए एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा झारखंड में पार्टी का चुनाव प्रचार संभालेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में चुनाव पूरे हो जाने चाहिए। बीजेपी ने यहां से तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष जी किशन रेड्डी को चुनाव प्रचार का प्रभारी बनाया है।

इन तीन राज्यों में सबसे जरूरी महाराष्ट्र चुनाव हैं। लोकसभा इलेक्शन में बीजेपी 23 से सिमटकर केवल 9 पर ही रह गई। वहीं सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 7 और अजित पवार की एनसीपी को एक ही सीट से संतोष करना पड़ा। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने राज्य में कुल 26 गवां दीं और 48 में से सिर्फ 17 सीटें ही जीत पाई। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि महाराष्ट्र राष्ट्रीय राजनीति का एक जरूरी बिंदु है। यह बहुत ही अहम है कि हम इसे जीतें। यादव और वैष्णव को दोनों कैडर के बीच कड़ी का सही से तालमेल करना होगा। इसमें संघ और महायुति के कार्यकर्ता शामिल हैं।

हरियाणा में धर्मेंद्र प्रधान और बिप्लब कुमार देब होंगे प्रभारी

हरियाणा में पार्टी के नेताओं ने कहा कि राज्य में चुनाव का मैनेजमैंट गड़बड़ा गया है। इसकी वजह से पार्टी को अपनी आधी सीटें खोनी पड़ी है। इसमें अब प्रधान और देब की बेहद ही अहम भूमिका होगी। प्रधान एक वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं। उन्होंने यूपी समेत कई राज्यों में चुनाव प्रभारी के रूप में अपनी भूमिका निभाई हैं। वहीं देब लोकसभा चुनावों के लिए हरियाणा के प्रभारी थे। त्रिपुरा के पूर्व सीएम को राज्य के नेताओं को एकजुट करने और पार्टी के आधार को मजबूत करने के लिए जाना जाता है। पार्टी ने उन्हें ओडिशा में तैनात किया था। यहां पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों में ही पार्टी ने जीत हासिल की है।

शिवराज और हिमंत बिस्वा सरमा झारखंड में मिलकर करेंगे काम

हाल ही में एमपी से केंद्र की राजनीति में आए शिवराज सिंह चौहान सरमा के साथ मिलकर काम करेंगे। उनकी चुनौती यह होगी कि बीजेपी झारखंड में अपना आदिवासी समर्थन फिर से हासिल कर पाए। यहां पर आदिवासी आबादी का 26 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है। बीजपी ने झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से आठ पर जीत हासिल की, लेकिन एसटी के लिए रिजर्व पांच सीटों में से एक भी जीतने में कामयाब नहीं रही। इनमें खूंटी, लोहरदगा, चाईबासा, राजमहल और दुमका शामिल है।

केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव में भारी वोटिंग के संकेत मिले है। वहीं रेड्डी को यह तय करना होगा कि उनकी पार्टी भारी वोटिंग का पूरा फायदा राज्य के विधानसभा चुनाव में भी उठाए और अपना आधार मजबूत करे। बीजेपी ने केंद्रशासित प्रदेश की चार सीटों पर लोकसभा इलेक्शन में अपना एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा था।