Lok Sabha Chunav 2024: देश के आम चुनाव के लिए दो चरणों की वोटिंग हो चुकी है। इसमें चुनाव आयोग की तैयारियों के बावजूद कई तरह की समस्याएं आई हैं। यूपी बिहार से लेकर मध्य प्रदेश तक में लोगों को वोटिंग से जुड़ी कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा है, जिसमें से एक यह भी रही कि मतदाता की जगह कोई उसका फर्जी वोट डाल गया। अब अगर आप बचे हुए 5 चरणों की वोटिंग का हिस्सा हैं, तो आपके लिए यह खबर बेहद अहम है।

अगर आप पोलिंग बूथ पर वोट डालने गए और आपको अगर पता चले कि आपको वोट पहले ही पड़ चुका है, तो यह चिंता की बात नहीं है। चुनाव आयोग की भाषा में इसे वोट चोरी होना कहते हैं। यह किसी के भी साथ हो सकता है लेकिन इसके बावजूद आपको अपने वोट का प्रयोग करने का मौका मिल सकता है।

भारतीय चुनाव आचरण अधिनियम-1961 धारा 49 (पी) में इस वोट चोरी होने की स्थिति का जिक्र किया गया है। 1961 में चुनाव आयोग ने इसमें बदलाव करते हुए ऐसे मामलों को शामिल किया था ताकि मतदाता को वोटिंग के अधिकार से वंचित न होना पड़े।

पीठासीन अधिकारी से करे वोट देने के अपील

अगर आपके साथ भी वोट चोरी होने की स्थिति होती है, तो ऐसे हालात में सबसे पहले पोलिंग स्टेशन के पीठासीन अधिकारी से मिलें और मतदान करने की अपील करें। बता दें कि चुनाव में पीठासीन अधिकारियों की अहम भूमिका होती है। बूथ की व्यवस्था से लेकर ईवीएम तक की जिम्मेदारी उनके पास होती है, वह आपकी इस मामले में बेहतर मदद कर सकते हैं।

पीठासीन अधिकारी कर सकते हैं अहम सवाल

ऐसे में आपसे अधिकारी सवाल जवाब पूछने का साथ ही प्रमाण के तौर पर वोटर आईडी कार्ड और चुनाव आयोग की तरफ से जारी की गई पोलिंग बूथ की स्लिप मांगेगे। डॉक्यूमेंट दिखाने के बाद अगर पीठासीन अधिकारी आपके जवाबों से संतुष्ट होता है तो आपको मतदान करने की अनुमति दी जा सकती है। वहीं अगर कोई ऐसा करके धोखाधड़ी की कोशिश करता है तो पीठासीन अधिकारी उस मतदाता के खिलाफ कम्प्लेन भी दर्ज करा सकता है।

टेंडर वोट डालने की है परमिशन

जब आपको पीठासीन अधिकारी की तरफ से वोट देने की परमिशन मिल जाती है, तो फिर बैलेट पेपर के जरिए लोग वोट कर सकते हैं। ऐसे मतदाता ईवीएम से मतदान नहीं कर सकते। इस तरह के मत को टेंडर वोट कहा जाता है। इसके लिए मतदाता को बैलेट पेपर दिया जाएगा, जहां वो अपनी पसंद के उम्मीदवार के सामने निशान लगाकर मतदान कर पाएंगे। मतदान के बाद बैलेट पेपर को लिफाफे में रखकर एक बॉक्स में रखा जाता है।

खास बात यह है कि टेंडर वोट की गिनती नहीं की जाती है। अगर कोई प्रत्याशी हारने की स्थिति में कोर्ट का रुख करता है और यह पक्ष रखता है कि टेंडर वोट उसके पक्ष में गए थे, तो फिर टेंडर वोटों को ईवीएम के साथ वेरिफाई किया जाता है और वोटों की गिनती होती है।