आंधी और तेज हवाओं के चलते टिड्डियों के झुंड पिछले दो-तीन दिन में न केवल बिखर गए बल्कि राह भी भटक गए हैं। तभी तो पहले जयपुर और अब जोधपुर शहर में टिड्डियों के झुंड देख इन शहरों के बाशिंदे सहम गए। अतीत में टिड्डियों के झुंड ग्रामीण क्षेत्रों में ही फसलों पर हमला बोलते थे। शहरों से परहेज ही करते थे। पर इस बार तो दिल्ली वाले भी टिड्डियों के संभावित प्रकोप को लेकर चौकस हुए हैं।

केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने अलबत्ता भरोसा जताया है कि सरकार की तैयारियों के कारण टिड्डियां फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगी। सरकार के पास छिड़काव के लिए कीटनाशकों का पर्याप्त भंडार है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान और ईरान को भी मदद की पेशकश की गई है। भारत में टिड्डियों के झुंड ईरान से पाकिस्तान के रेगिस्तान के रास्ते पहुंचे हैं। ईरान की मांग पर भारत ने उसे 30 हजार लीटर कीटनाशक भेजा है। देश के भीतर हवाई छिड़काव के लिए कृषि मंत्रालय ने नागरिक उड्डयन महानिदेशक से ड्रोन के इस्तेमाल की मंजूरी भी ले ली है।

बताते चलें कि टिड्डियों के झुंड राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब व हरियाणा में भी देखे गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने जिला और मंडल स्तर पर कृषि विभाग के अफसरों को सतर्क कर दिया है जो किसानों को लगातार परामर्श दे रहे हैं और फसलों को टिड्डियों के हमले से बचाने के तौर-तरीके भी समझ रहे हैं।

टिड्डियों के झुंड बेशक मानव के लिए सीधे कोई खतरा नहीं पर इनसे विमान दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए विमानन कंपनियों ने तय किया है कि अगर किसी एअरपोर्ट के आसपास ये झुंड दिखे तो विमानों की उड़ान रोक दी जाए। केंद्र सरकार का टिड्डी चेतावनी संगठन इस समस्या को लेकर गंभीर है। संगठन के उपनिदेशक केएल गुर्जर के मुताबिक फिलहाल यह समस्या देश के विभिन्न राज्यों के 50 जिलों तक सीमित है। महाराष्ट्र में पहुंचे टिड्डी झुंड की टिड्डियां अपेक्षाकृत छोटे आकार की हैं।

टिड्डियों से आम और दूसरे फलों ही नहीं कपास, दलहन, मक्का और ज्वार-बाजरे की फसलों को ज्यादा खतरा है। सब्जियों को भी टिड्डियों के झुंड एक रात में ही सफाचट कर जाते हैं। इनसे बचाव और इनके खात्मे के लिए कीटनाशकों का हवाई छिड़काव ही कारगर उपाय है। वैसे किसान इन्हें भगाने के लिए खाली कनस्तर और ढोल नगाड़े बजाने के अलावा पटाखे भी छोड़ते हैं। टिड्डियों के झुंड रात में फसलों पर बैठकर उन्हें नष्ट करते हैं और दिन में उड़कर नए इलाकों की टोह लेते हैं। एक दिन में ये औसतन 150 किलोमीटर तक का सफर तय कर लेते हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ का संगठन एफएओ भी पीड़ित देशों को टिड्डियों के प्रकोप और बचाव के बारे में समन्वित प्रयासों के लिए प्रेरित कर रहा है। सरकार का फोकस फिलहाल इन टिड्डी दलों का फैलाव रोकने का है। कोशिश यही हो रही है कि मानसून से पहले इनका खात्मा कर दिया जाए अन्यथा ये प्रजनन कर कई गुना ज्यादा टिड्डियां पैदा कर देंगे जिससे देश की खाद्य सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है।