प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार बनने के बाद दूसरा टीवी इंटरव्यू दिया है। नेटवर्क 18 ग्रुप को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कई सवालों के जवाब दिए। प्रधानमंत्री बनने के बाद भारतीय न्यूज चैनल को नरेंद्र मोदी का यह दूसरा ही इंटरव्यू है। इससे पहले उन्होंने टाइम्स नाऊ को पिछले महीने इंटरव्यू दिया था। 75 मिनट के इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कई सवालों पर जवाब दिए।दलितों पर अत्याचार के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि समुदाय के ‘ठेकेदार’ तनाव उत्पन्न करने के लिए सामाजिक समस्या को राजनीतिक रंग दे रहे हैं। मोदी ने कहा कि वह दलितों और समाज के अन्य दमित तबकों के कल्याण के लिए कटिबद्ध हैं, लेकिन कुछ लोग इसे नहीं पचा सकते कि ‘मोदी दलित समर्थक है।’
उन्होंने यह कहते हुए दलितों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की निन्दा की कि यह किसी भी सभ्य समाज को शोभा नहीं देता। ‘जो खुद को किसी खास तबके का ‘ठेकेदार’ समझते हैं और समाज में तनाव उत्पन्न करना चाहते हैं, वे इसे नहीं पचा सकते कि मोदी दलित समर्थक है…।हरियाणा में राबर्ट वाड्रा के भूमि सौदों की जांच को लेकर पैदा विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की ओर से किसी राजनीतिक पार्टी या परिवार के खिलाफ जांच करने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया गया है।
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उन्होंने कहा, ‘‘मैं 14 साल तक एक राज्य का मुख्यमंत्री रहा हूं। इतिहास गवाह है कि मैंने राजनीतिक वजहों से कोई फाइल नहीं खोली। मेरे खिलाफ ऐसा कोई आरोप नहीं है। यहां ढाई साल से ज्यादा (केंद्र की सरकार) हो गए हैं। सरकार की ओर से कोई फाइल खोलने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया गया है।’’
Narendra Modi interview updates:
- अपनी ही पुरानी चीजों का बोझ लेकर चलना चाहिए, ये मेरे नेचर में नहीं है। उसके कारण मेरे काम करने का तरीका इस प्रकार डेवलप हुआ है।
- अगर आप मुझे मिलने आए हैं तो मेरा वो वर्तमान है। उस समय मैं पूरी तरह आपके साथ डूब जाता हूं। उस समय ना मैं टेलीफोन को हाथ लगाता हूं, ना मैं कागज देखता हूं, ना मैं अपना फोकस खोता हूं…अगर मैं फाइलें देखने के लिए बैठा हूं तब भी मैं वर्तमान में होता हूं…तो किसी और चीज की तरफ…तब मैं फाइलों में ही खोया रहता हूं…अगर मैं दौरा करता हूं तो मैं फिर मैं उस वक्त उसी काम में खोया रहता हूं…मैं हर पल वर्तमान में जीने का प्रयास करता हूं।
- काम नहीं करता हूं तो थक जाता हूं।
- मैं वर्कहॉलिक हूं, काम में डूबा रहता हूं।
- किसी भी संवैधानिक इंस्टीट्यूशन के साथ संघर्ष की संभावना नहीं है, तनाव की संभावना नहीं है और ये जो बाहर जो परसेप्शन बना है वो सही नहीं है
- ये सरकार ऐसी है कि जिसको नियमों से चलना है, कानून से चलना है, संविधान के तहत चलना है
- मैंने देखा है कि शायद मुझको गाली देने वालों को मैदान में लाकर टीआरपी आजकल बढ़ाने का प्रयास हो रहा है। तो रैली से ज्यादा गाली काम आ जाती है।
- आज मीडिया के पास समय ही नहीं बचा है… वो भी दौड़ते हैं कैमरा ले-लेकर… और क्रिटिसिज्म ना होने के कारण आरोपों की तरफ चले जाते हैं सब लोग।
- अगर रैली के जरिए मीडिया को टीआरपी मिलती है तो मुझे क्या परेशानी होगी।
- सरकार में मीडिया का डर जरूरी। इससे देश का भला होगा।
- हो सकता है कि मीडिया को शिकायत हो कि मैं उन्हें मसाला नहीं देता हूं।
- मीडिया को भी यह शिकायत हो सकती है कि मैं चलते-फिरते बाइट नहीं देता हूं। उनसे मिलता नहीं हुं।
- यहां सरदार पटेल, बीआर अम्बेडकर, मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, देवेगौड़ा का मजाक भी बनाया गया। इसलिए मुझे उपहास से आश्चर्य नहीं हुआ।
- लुटियन जोन में सत्ता के ठेकेदार हावी। यहां पर बाहर से आने वाले लोगों का मजाक उड़ाया जाता है।
- जवाबदेही तय कर भ्रष्टाचार का खात्मा होगा।
- तकनीक की मदद से भ्रष्टाचार को मात दी है। कहीं पर भी यूरिया मांग रहे किसानों की कतार नजर नहीं आती।
- विकास और विश्वास से ही सफलता मिलेगी। देश की सवा सौ करोड़ जनता कश्मीर के साथ हैं।
- कश्मीर को विकास भी चाहिए और कश्मीर की जनता को विश्वास भी चाहिए।
- जम्मू कश्मीर की समस्या देश के विभाजन के समय से हैं।
- उत्तर प्रदेश विकास के लिए वोट करेगा।
- वोटबैंक की राजनीति देश के लिए घातक।
- लोकसभा, विधानसभा चुनाव साथ होने चाहिए। इस पर सभी राजनीतिक दलों को साथ आना चाहिए। इस पर व्यापक बहस हो, चर्चा हो।
- पॉलिटिकल पंडितों के दिमाग से राजनीति जाती नहीं है। कहीं सवा साल बाद भी चुनाव होने तो भी उसे जोड़ दिया जाता है।
- हमारे देश का दुर्भाग्य है कि राजनेता कुछ भी करे, उसे चुनाव से जोड़ दिया जाता है।
- एनआरआई भारत से बहुत लगाव रखता है। लेकिन उसके पास चैनल नहीं जिससे वह देश से जुड़ सके।
- हर बात को नफे और नुकसान के तराजू से नहीं देखी जानी चाहिए।
- साढ़े तीन करोड़ लोगों ने मुद्रा योजना का लाभ लिया। इसके जरिए सवा लाख करोड़ रुपये लिए।
- गरीब को गरीब रखकर राजनीति तो हो सकती है लेकिन समस्या दूर नहीं होगी।
- गरीबी हटाने के लिए लंबे समय से कार्यक्रम चलाए गए। लेकिन मेरा रास्ता अलग है। गरीबों को ताकत देने से ही गरीबी मिटेगी।
- शांति, एकता और सद्भावना होनी चाहिए
- किसी भी हालत में समरसता होनी चाहिए। सिर्फ आर्थिक हितों के लिए ही ऐसा नहीं होना चाहिए।
- अर्थव्यवस्था के लिए ही नहीं सुख-शांति के लिए भी सद्भाव जरूरी।
- मैं अपनी खुद की पार्टी के नेताओं सहित राजनीतिक नेताओं से कहना चाहता हूं कि किसी भी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ किसी भी गैर जिम्मेदार बयान नहीं दिया जाना चाहिए।
- जब मैंने बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई, कई लोगों को लगा कि मोदी अंबेडकर का अनुयायी है। उन्हें समस्या होनी शुरू हो गई।
- जिन लोगों ने जातिवाद के नाम पर इस देश को विषाक्त किया है, उन्हें एक सामाजिक समस्या को राजनीतिक रंग देना बंद करना चाहिए।
- यदि देश गरीबी से मुक्ति चाहता है तो तब विकास की जरूरत है। हमें देश के गरीब लोगों को सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
- आंकड़ों के अनुसार देंखे तो कम्युनल घटनाएं हो या दलित-आदिवासियों पर हुई घटनाएं पिछली सरकार की तुलना में कम हैं।
- विकास का मुद्दा हमारा एजेंडा है और यह हमारा एजेंडा रहेगा। यह कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है।
- बदला लेना मेरी मानसिकता नहीं।
- बदले की भावना से किसी विरोधी की फाइल नहीं खुलवार्इ।
- कालाधन पर मेरी सरकार बनने के बाद पहला ही काम था कालेधन पर एसआईटी बनाना। यह काम चार साल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अटका पड़ा था।
- राजनीति कहती थी कि इससे कच्चा चिट्ठा खुल जाएगा। लेकिन राष्ट्रीय नीति कहती थी कि ऐसा करने से मायूसी छा जाएगी।
- मुझे पहला बजट पेश करने से पहले व्हाइट पेपर लाना चाहिए था। मुझे लगता था कि यह मेरी गलती थी।
- सामान्य मानव को सारी सुविधाएं कैसे मिले, यह हमारा लक्ष्य है
- हमारी सरकार आने के बाद से बिजनेस करना आसान हुआ है।
- मेरा कहना है रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म।
- रिफॉर्म टू ट्रांसफॉर्म यह मेरा मंत्र है।
- हमारे देश में जो बड़ी बात चर्चा में आई, वही रिफॉर्म है।
- इस साल बारिश अच्छी रही। इससे आने वाला समय और उज्जवल रहेगा।
- हमारी सरकार आने के बाद से वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ और क्रेडिट एजेंसियों का विश्वास बढ़ा। यह सब हमारी साफ नीयत की नीतियों के कारण हुआ।
- ज्यादातर लोग देश में टैक्स नहीं देते हैं क्योंकि यह प्रक्रिया काफी जटिल है।
- हमने निराशा के माहौल में सत्ता संभाली थी। हमें बीमार अर्थव्यवस्था की चुनौती मिली।
- जीएसटी बिल के आने से राज्य और केंद्र के रिश्ते मजबूत होंगे।
- मैं चाहता हूं किे मेरी सरकार का मूल्याकंन जनता करें।