किसी के व्यक्तित्व को जानने-समझने के प्रथम दृष्टया लक्षण क्या होते हैं? वे कौन-सी बातें हैं, जो किसी को भीड़ से अलग करती हैं? ऐसे बहुत से कारक होते हैं, मगर अपनी जीवनशैली में समय का पाबंद होना उनमें एक सबसे अहम और खूबसूरत पहलू है। यह अतीत से लेकर अब तक साबित हुआ है कि अपने शब्दों और गतिविधियों को लेकर समय का सख्ती से खयाल रखने वाले लोग ही कामयाब हुए हैं।
पाबंद होने के मायने
किसी को दिए गए वचन को ठीक समय पर पूरा करने को समय का पाबंद होने के तौर पर देखा जाता है। अगर कह दिया कि किसी खास वक्त पर मैं किसी खास जगह पर पहुंच जाऊंगा, तो ठीक वक्त पर उस जगह पर हाजिर हो गए! यह किसी संबंधित व्यक्ति को अहमियत देने के साथ-साथ अपने व्यवहार में इस खासियत का खयाल रखना हुआ।
मगर रोजी-रोटी से जुड़ी जगहों पर भी अपनी ड्यूटी यानी कार्य-दायित्व को तय समय पर पूरा करना, निर्धारित समय पर पहुंचना और निकलना आदि वक्त का पाबंद होना होता है, जो आखिरकार इस नियम का पालन करने वाले व्यक्ति के लिए बेहद फायदेमंद होता है- सामाजिक रूप से और आर्थिक रूप से भी। सबसे ज्यादा व्यक्तित्व के एक आकर्षक पहलू के रूप में। इसी से इसका महत्त्व समझा जा सकता है।
भरोसे की छवि
किसी काम को समय पर पूरा करने या कहीं ठीक वक्त पर पहुंचना दरअसल इस बात का साफ इशारा है कि ऐसा करने वाला व्यक्ति खुद को लेकर कितना आश्वस्त और भरोसे से भरा हुआ है। ऐसे लोग आमतौर पर स्पष्टवादी होते हैं और उनकी बातों पर भरोसा किया जा सकता है कि अगर उसने कुछ कहा है तो वह पूरा करेगा। अपवाद की स्थितियां हो सकती हैं।
मगर कुछ संकेत साफ दिखते हैं। ऐसे लोग आमतौर पर किसी को आगे बढ़ने में मददगार भी साबित होते हैं। इस लिहाज से देखें तो वक्त के पाबंद लोग अपने आसपास लोगों के भीतर भी सकारात्मक ऊर्जा भरते हैं, जिससे अपने ऊपर भरोसा पैदा होता है। वादा निभाना और समय पर पहुंचना आत्मविश्वास को बढ़ाने का भी जरिया है।
समृद्धि के आयाम
दुनिया में जितनी भी कामयाब हस्तियां दिखती हैं, उनके बारे में एक बात समान रूप से पाई जाती है कि वे सभी वक्त को लेकर आमतौर पर सख्त रहे। यानी किसी काम को लेकर संवेदनशील रहे। समय पर अपने कार्यस्थल पर पहुंचना और ठीक वक्त पर काम को पूरा करना। सिर्फ इतने भर से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सकता है और सामाजिक छवि को प्रेरणास्पद बनाया जा सकता है। दरअसल, अगर तय समय पर अगर कहीं पहुंचा जाए तो संभव है कि वहां कोई बड़ा अवसर हमारे हाथ लग जाए और हम उसके बाद आगे के सफर पर ऐसे चलें कि पीछे मुड़ कर देखने का मौका नहीं मिले।