संदीप सिंह

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मंगलवार को एलआईसी के प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) को मंजूरी दे दी, जिससे सरकार के लिए इस इश्यू को लांच करने का मार्ग खुल गया है, जिसके माध्यम से उसकी लगभग 60,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है। मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘सेबी ने मंगलवार देर शाम एलआईसी के सार्वजनिक निर्गम को मंजूरी दे दी और अब सरकार को यह तय करना है कि वह इसको कब लांच करना चाहती है।

हालांकि भले ही इस इश्यू के लिए विनियामक अनुमोदन आ गया है, लेकिन जानकारों का कहना है कि राजनीतिक हालात और इक्विटी बाजारों पर इसके प्रभाव और दुनिया भर में निवेशकों की सोच को देखते हुए आईपीओ को स्थगित किया जा सकता है।

नाम न छापने की शर्त पर एक निवेश बैंकर ने कहा, “अब निर्णय सरकार के हाथ में है, हालांकि, मुझे नहीं लगता कि जब बाजार दबाव में है और निवेशकों की भावना को धक्का लगा है, तब एक बड़े सार्वजनिक इश्यू के रूप में यह एलआईसी के साथ आने का सही समय है।” इस महीने की शुरुआत में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि वह एलआईसी आईपीओ के साथ आगे बढ़ना चाहती हैं, लेकिन वैश्विक सोच को देखते हुए उन्हें इसे फिर से देखने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 24 फरवरी से यूक्रेन में रूसी आक्रमण के बाद से बेंचमार्क सेंसेक्स 6.5 प्रतिशत से अधिक गिर गया है। एफपीआई भी एक निकास मोड में हैं। जबकि उन्होंने अकेले मार्च में 30,141 करोड़ रुपये की भारतीय इक्विटी बेची है, 1 जनवरी, 2022 से नेट आउटफ्लो अब 99,036 करोड़ रुपये है।

1 मार्च को, द इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) चालू वित्त वर्ष के लिए अपने संशोधित विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए मार्च 2022 में एलआईसी की प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) शुरू करने के लिए उत्सुक था, लेकिन नियामक क्षेत्र के कुछ प्रमुख अधिकारी पॉलिसीधारकों के पास पालिसी से लिंक्ड पैन की संख्या कम होने और डीमैट खाते वालों की कमी का हवाला देते हुए इस कदम का विरोध किया।

रूस-यूक्रेन में भू-राजनीतिक विकास और बाजारों पर इसके प्रभाव, पिछले कुछ महीनों में एफपीआई आउटफ्लो, बाजारों में अस्थिरता और एक बड़े सार्वजनिक इश्यू के लिए मार्च का महीना सही वक्त नहीं होना भी बड़ी समस्याएं हैं।