Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अजीबो-गरीब घटनाक्रम सामने आया। जब एक बहस ने आश्चर्यजनक मोड़ ले लिया। यह घटनाक्रम तब सामने आया, जब जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने एक वकील को अपने मामले के अलावा किसी भी विषय पर बोलने के लिए 30 सेकंड का समय दिया। जिससे अदालती मामलों के बजाय क्रिकेट के बारे में हल्की-फुल्की बातचीत हुई। कोर्ट एक आपराधिक मामले में आरोप तय करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जिसे तीन निचली अदालतों ने बरकरार रखा था।

जब वकील ने अपनी दलील पेश करने के लिए थोड़ा समय मांगा, तो जस्टिस रॉय ने मज़ाकिया लहजे में कहा, ‘ठीक है, हम आपको 30 सेकंड देते हैं, लेकिन हम आपकी याचिका तुरंत खारिज कर रहे हैं। याचिका को औपचारिक रूप से खारिज करने के बाद जस्टिस रॉय, जो अपनी हास्यपूर्ण शैली के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने वकील को विषय बदलने के लिए कहा, ‘अब आपके पास 30 सेकंड हैं। अपने केस के अलावा कुछ भी बताइए। क्यों न क्रिकेट पर बात करें? ऑस्ट्रेलिया में हमारी क्रिकेट टीम के साथ क्या गलत हुआ?

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इस अप्रत्याशित प्रस्ताव से वकील असमंजस में पड़ गए और कानूनी दलीलों से खेल पर बात करने में कठिनाई महसूस की। जस्टिस रॉय ने इस बातचीत को हल्का-फुल्का रखने के लिए जोर दिया और दिनभर की गंभीर कानूनी सुनवाई के बीच माहौल को अच्छा करने की मंशा जाहिर की।

हालांकि, वकील ने क्रिकेट पर बात करने का मौका नहीं लिया, लेकिन यह घटना जस्टिस रॉय के सत्रों में हास्य को शामिल करने के अंदाज को दर्शाती है। जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी, जो इस पीठ का हिस्सा थे। उन्होंने मामले में निचली अदालतों के फैसलों की स्थिरता का हवाला देते हुए, उनके हस्तक्षेप न करने के कारणों को स्पष्ट किया।

यह घटना याद दिलाती है कि जस्टिस रॉय कैसे अक्सर अपने सत्रों में हास्य का पुट जोड़ते रहे हैं। यह गुण उन्हें उनके सहयोगियों के बीच लोकप्रिय बनाता है, जिनमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई. चंद्रचूड़ भी शामिल हैं, जो रॉय की सुनवाई को हल्के माहौल में समाप्त करने की शैली की सराहना करते थे। 31 जनवरी को अपने सेवानिवृत्ति की ओर बढ़ रहे जस्टिस रॉय की यह अनोखी कोर्ट रूम घटना उनके न्यायिक और व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण की विरासत को उजागर करती है।

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