अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इस साल अपने कर्मचारियों को लीव ट्रैवल कंसेशन (LTC) के एवज में नकद वाउचर देने की घोषणा की है। वाउचर योजना की घोषणा के दो सप्ताह बाद सरकार ने गुरुवार को योजना के तहत उपलब्धगैर-केंद्रीय कर्मचारियों को आयकर छूट प्रदान करने का निर्णय लिया है। गैर-केंद्रीय कर्मचारियों में राज्य सरकारों,सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, बैंक और निजी क्षेत्र के कर्मचारी आएंगे।
आयकर छूट उन लोगों के लिए लागू नहीं होगी जो पिछले साल शुरू की गई रियायती आयकर व्यवस्था का लाभ ले चुके हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार के अलावा अन्य कर्मचारियों को मान्य एलटीसी के रूप में दोनों तरफ के किराये पर प्रति व्यक्ति अधिकतम 36,000 रुपये नकद भत्ते के भुगतान पर आयकर छूट का लाभ मिलेगा। यह छूट कुछ शर्तों को पूरा करने पर मिलेगी।
सीबीडीटी ने कहा, ‘‘अन्य कर्मचारियों को लाभ (गैर-केंद्र सरकार कर्मचारी) उपलब्ध कराने के लिये… एलटीसी किराये के बराबर नकद भुगतान को लेकर गैर-केंद्रीय कर्मियों को भी आयकर में छूट देने का निर्णय किया गया है।’ सीबीडीटी ने एलटीसी नकद वायचर योजना के तहत कर छूट लेने को लेकर शर्तों को भी सूचीबद्ध किया है। इसके तहत कर्मचारियों को एलटीसी किराया राशि का तीन गुना उन वस्तुओं/सेवाओं की खरीद पर करना होगा जिस पर जीएसटी (माल एवं सेवा कर) 12 प्रतिशत या उससे अधिक हो। उन्हें यह सामान या सेवाएं पंजीकृत दुकानदारों/सेवाप्रदाताओं से खरीदनी होंगी।
भुगतान डिजिटल तरीके से 12 अक्टूबर, 2020 से 31 मार्च, 2021 के बीच करना होगा। उन्हें एक वाउचर प्राप्त करना होगा जिस पर जीएसटी संख्या और राशि का विवरण हो। कर्मचारियों को यह छूट उनके 2018-21 की समयावधि में लागू उनके एलटीसी भुगतान के संबंध में लागू होगी। अगर कर्मचारी नकद वाचर योजना के तहत मान्य एलटीसी किराया का तीन गुनी राशि से कम खर्च करता है, वह मान्य एलटीसी किराया की पूरी राशि और संबंधित आयकर छूट पाने का हकदार नहीं होगा। दोनों राशि उसी अनुपात में कम हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 12 अक्टूबर को अपने कर्मचारियों को एलटीसी के एवज में आयकर-मुक्त नकद वाउचर देने की घोषणा की थी। कर्मचारी इन वाउचर का इस्तेमाल ऐसे उत्पाद खरीदने के लिए कर सकते हैं जिन पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत या अधिक है। इस पहल का मकसद कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था में खपत को गति देना है।

