CJI BR Gavai News: भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश करने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में निलंबित एडवोकेट राकेश किशोर ने कहा कि उन्हें अपने कृत्य पर पछतावा नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं बहुत ही ज्यादा आहत हुआ कि चीफ जस्टिस की कोर्ट में किसी ने पीआईएल दाखिल की थी और गवई साहब ने उसका पहले तो मजाक उड़ाया।”

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में राकेश किशोर ने कहा, “आप मूर्ति से जाकर कहो और प्रार्थना करो कि वो अपने सिर को फिर से रिस्टोर कर ले। जबकि हम देखते हैं कि यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ, जो दूसरे समुदायों के लोग हैं। उनके खिलाफ जब कोई केस आता है तो जैसे कि मैं उदाहरण देता हूं कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर एक विशेष समुदाय का कब्जा है। जब उसको हटाने की कोशिश की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले स्टे लगा दिया। यह आज तक लगा हुआ है। ऐसे ही नुपूर शर्मा का जब मामला आया तो कोर्ट ने कह दिया कि आपने माहौल कर दिया। ये सब तो कहते हैं और रोक लगाते हैं ये सब तो ठीक है। लेकिन जब हमारे सनातन धर्म से संबंधित कोई मामला आता है तो उसके ऊपर वो जरूर कोई ना कोई ऐसा आर्डर पास करते हैं। इन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।”

मुझे कोई अफसोस नहीं- राकेश किशोर

राकेश किशोर ने कहा, “आपको उस याचिकाकर्ता को राहत नहीं देनी थी तो मत दीजिए। मगर उसका मजाक भी मत उड़ाइए, आपने कहा कि आप उसी मूर्ति के सामने जाकर प्रार्थना करें। अन्याय ये किया कि उसकी याचिका को खारिज भी कर दिया, तो इन सभी चीजों से लेकर मैं बहुत ज्यादा आहत था। वैसे में हिंसा के बहुत ज्यादा खिलाफ हूं। आप लोग ये भी देखिए कि एक अहिंसक आदमी और सीधा सच्चा आदमी, जिसके ऊपर कोई भी केस नहीं है। उसको ये सब क्यों करना पड़ा ये जरूर सोचने वाली बात है। पूरे देश को ये चिंतन करने वाली बात है। मैं भी कोई कम पढ़ा लिखा नहीं हूं और गोल्ड मेडलिस्ट हूं। ऐसा नहीं है कि मैं कोई नशे में था और मैंने कोई गोलियां खा रखी थीं। उन्होंने एक्शन किया और ये मेरा रिएक्शन था। ना ही मुझे कोई अफसोस है कि क्या हुआ और क्या नहीं।”

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सीजेआई पहले सनातनी हिंदू थे- राकेश किशोर

सीजेआई पर जूता फेंकने वाले राकेश किशोर ने कहा, “मेरा नाम है डॉक्टर राकेश किशोर। क्या कोई मेरी जाति बता सकता है, हो सकता है कि मैं भी दलित हूं। यह एकतरफा है कि आप इस तथ्य का फायदा उठा रहे हैं कि वह (मुख्य न्यायाधीश गवई) दलित हैं। वह दलित नहीं हैं। वह पहले एक सनातनी हिंदू थे। फिर उन्होंने अपना धर्म त्याग दिया और बौद्ध धर्म अपना लिया। अगर उन्हें लगता है कि बौद्ध धर्म अपनाने के बाद वह हिंदू धर्म से बाहर आ गए हैं, तो वह अभी भी दलित कैसे हैं? यह मानसिकता के बारे में है।”

मैं माफी मांगने वाला नहीं हूं- राकेश किशोर

उन्होंने आगे कहा, “न्यायाधीशों को अपनी संवेदनशीलता पर काम करना चाहिए। लाखों मामले लंबित हैं। मैं न तो माफी मांगने वाला हूं, न ही मुझे इसका पछतावा है। मैंने कुछ नहीं किया है, आप मुझसे सवाल कर रहे हैं। सर्वशक्तिमान ने मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर किया।” राकेश किशोर ने कहा, “CJI को सोचना चाहिए कि जब वह इतने उच्च संवैधानिक पद पर बैठे हैं, तो उन्हें ‘माईलॉर्ड’ का अर्थ समझना चाहिए और इसकी गरिमा बनाए रखनी चाहिए। आप मॉरीशस जाकर कहते हैं कि देश बुलडोजर से नहीं चलेगा। मैं CJI और मेरा विरोध करने वालों से पूछता हूं, क्या योगी जी द्वारा सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई गलत है। मैं आहत हूं।”

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