सुप्रीम कोर्ट से कई बार फटकार खाने के बावजूद वकील एमएल शर्मा ने एक और पीआईएल अदालत में जड़ दी है। उन्होंने गृह मंत्रालय के उस फैसले के खिलाफ पीआईएल दागी है, जिसमें 10 सरकारी एजेंसियों को जासूसी की छूट दी गई है। पिछली बार कोर्ट ने उन पर बेकार के पीआईएल दाखिल करने के लिए डांट पिलाई थी और 50,000 रुपये का जुर्माना भी ठोका था। दरअसल, गृह मंत्रालय ने ईडी, आईबी,आईटी समेत 10 एजेंसियों को किसी का भी कॉल इंटरसेप्ट करने और कम्यूटर तथा लैपटॉप एक्सेस करने की छूट दी है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील एमएल शर्मा को ‘पाआईएल किंग’ के नाम से जाना जाता है। इसी महीने सुप्रीम कोर्ट ने उनके द्वारा वित्त मंत्री पर बड़ी कंपनियों के NPA में छूट देने पर दायर याचिका को खारिज किया था और 50 हजार का जु्र्माना लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने एमएल शर्मा को पीआईएल दाखिल करने से रोकने तक की बात कही थी। कोर्ट ने कहा था कि आप बेशक अच्छे मुद्दों पर पीआईएल दाखिल की हैं। लेकिन, आप कुछ भी क्यों लेकर आ जाते हैं? कोर्ट ने जेटली के खिलाफ एमएल शर्मा की याचिका को गैर-जरूरी बताया था।
Supreme Court had earlier imposed a fine of Rs 50,000 on advocate ML Sharma for filing frivolous public interest litigations (PIL). https://t.co/WPZdrv13wU
— ANI (@ANI) December 24, 2018
साधारण लहजे में कहें तो पीआईएल (जनहित याचिका) एक ऐसा जरिया है, जिससे सार्वजनिक या वंचित समाज से जुड़े मुद्दों को कोर्ट के समक्ष पेश किया जाता है। यह कुल मिलाकर एक न्यायिक सक्रियता का प्रदर्शन है। इसके लिए ख्याल यह रखा जाता है कि इसमें निजी हित के बजाय सार्वजनिक हित का ख्याल रखना होता है। यह सिर्फ हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में ही दाखिल किया जा सकता है।
एमएल शर्मा को कोर्ट से कई बार पीआईएल को लेकर फटकार मिल चुकी है। नेशनल जूडिशल अपॉइंटमेंट कमिशन (NJAC) एक्ट और उन्नाव रेप केस मामले में भी उन्हें काफी डांट मिल सुनने को मिल चुकी है।