भारत के विधि आयोग (Law Commission) ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों से नए सुझाव मांगे हैं। प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) की वेबसाइट पर जारी एक बयान के मुताबिक 21वें विधि आयोग ने यूसीसी पर  मान्य धार्मिक संगठनों के विचारों को जानने के लिए फिर से निर्णय लिया है। 

लॉ कमीशन के सदस्य सचिव ने कहा कि जो रुचि रखते हैं और इच्छुक हैं वे नोटिस की तारीख से 30 दिनों के भीतर अपनी राय दे सकते हैं। यूसीसी पर फिलहाल कोई ऐलान नहीं है। इस साल फरवरी में तत्कालीन कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा को बताया था कि सरकार ने देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है.

इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या सरकार के पास यूसीसी विधेयक पारित करने की कोई योजना है, रिजिजू ने कहा था कि इस मामले को 22वें विधि आयोग द्वारा विचार के लिए लिया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार ने भारत के 21वें विधि आयोग से यूसीसी से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच करने और सिफारिशें करने का अनुरोध किया था।

क्या है समान नागरिक संहिता (UCC)

समान नागरिक संहिता का मतलब है पूरे देश के लिए एक कानून। जिसे सभी धार्मिक समुदायों पर उनके निजी मामलों जैसे विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने आदि में लागू किया जाएगा। इन मामलों को लेकर भारत में विभिन्न समुदायों में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग क़ानून हैं, इसीलिए यूसीसी का विरोध भी देखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा बीजेपी सरकार इस यूसीसी को लागू करने की बात कहती रही है।

यूसीसी का लगातार विरोध करने वाले लोगों का तर्क है कि इसके लागू होने से लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं से वंचित हो जाएंगे और इन्हें मानने का उनका अधिकार छिन जाएगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से शादी-विवाह, जमीन जायदाद, संतान और विरासत जैसे मामलों में जो अलग-अलग रियायतें है वो खत्म हो जाएंगी और हर धर्म के लिए एक ही कानून होगा।