केंद्र सरकार से केदारनाथ हादसे के लिए उत्तराखंड के लिए आई धनराशि को लेकर राज्य की सियासत गर्मा गई है। जहां भाजपा ने राज्य सरकार पर आपदा राशि में 1500 करोड़ रुपए का घपला होने का आरोप लगाया है वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शनिवार को यह कह कर इस मसले को गर्मा दिया कि यदि इस मामले में कोई भी घपला पकड़ा जाता है तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। भाजपा चाहे इस मामले की किसी भी एजंसी से जांच करवा लें वे इस मामले की जांच को तैयार हैं।
शनिवार को रावत ने देहरादून में इस मसले को लेकर अपने सरकारी घर बीजापुर में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। भाजपा को पानी पी-पीकर रावत ने जम कर कोसा। रावत ने कहा कि भाजपा मुझे बदनाम करने के लिए ऐसे अनर्गल आरोप लगा रही है। जिनकी कोई तुक नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा वित्तीय मामलों के किसी विशेषज्ञ को मेरे सामने ले आएं, मैं उससे भाजपा के आरोपों के बारे में खुली बहस करूंगा। यदि मैं दोषी पाया जाता हूं तो राजनीति छोड़ दूंगा और यदि मैं इस मामले में सही साबित हुआ तो भाजपा को राज्य की जनता से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ेगी।
रावत ने कहा कि भाजपा को मुझसे बहुत तकलीफ है। मेरी सरकार की बढ़ती हुई लोकप्रियता और फिर से राज्य में कांग्रेस सरकार की वापसी की संभावनाओं को देखते हुए भाजपा के नेता बौखला गए हैं और वे झूठ और छल का सहारा ले रहे हैं। रावत ने भाजपा नेताओं की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि भाजपा के नेता केंद्र से आपदा के लिए आई सहायता राशि में से 1509 करोड़ रुपए गायब होने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेताओं के बुद्धि-विवेक पर उन्हें तरस आता है। केंद्र से राज्य सरकार को जो भी सहायता आती है वह धनराशि राज्य की ट्रेजरी में जमा होती है। वह धनराशि केंद्र से घोड़े खच्चरों में लादकर नहीं लाई जाती जो रास्ते से गायब हो जाए।
रावत ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेता उत्तराखंड का नाम बदनाम करने की साजिश में लगे हैं और राज्य की जनता का मनोबल तोड़ने का काम कर रहे हैं। मेरी सरकार का एजंडा राज्य का विकास करना है जिसमें भाजपा अड़ंगे अटका रही है। केंद्र से मिलने वाली धनराशि को उत्तराखंड भाजपा के सांसद जानबूझकर रूकवा रहे हैं। धर्म के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा की केंद्र सरकार ने अपने सांसदों के कहने पर हरिद्वार अर्द्धकुंभ के लिए एक भी कौड़ी मुहैया नहीं कराई। अब राज्य सरकार तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए अर्द्धकुंभ मेले का आयोजन अपने स्रोतों से करा रही हैं। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पीएमजीएसवाई योजना के तहत राज्य सरकार को पूरा पैसा नहीं दे रही है। वित्तीय वर्ष 2015 में केंद्र ने 312 करोड़ रुपए ही दिए हैं जबकि अभी केंद्र सरकार से 142 करोड़ रुपए आने हैं। राज्य सरकार इस मद में अब तक 456 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे उन पत्रों का भी जिक्र किया जिन पत्रों के माध्यम से उन्होंने प्रधानमंत्री से राज्य को और अधिक आर्थिक सहायता देने की मांग की।
उधर, दूसरी ओर मुख्यमंत्री हरीश रावत को आड़े हाथों लेते हुए भाजपा के राष्टÑीय सचिव त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री केदारनाथ आपदा राशि में हुई गड़बड़ी से जनता का ध्यान हटाने के लिए गलत बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केदारनाथ आपदा राशि में 1500 करोड़ रुपए का मामला भाजपा ने नहीं उठाया बल्कि एक आरटीआइ कार्यकर्ता के द्वारा जुटाई गई जानकारी से यह मामला सामने आया और अब मुख्यमंत्री बौखलाकर इसका ठीकरा भाजपा पर फोड़ रहे हैं। इस मामले ने राज्य की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। भाजपा ने इस मुद्दे को लपकते हुए राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में रावत सरकार के खिलाफ धरने प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। राज्य का कांग्रेस संगठन इस मुद्दे पर भाजपा को करारा जवाब देने में जब नाकाम रहा तब मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मुद्दे पर भाजपा को दो टूक जवाब देने के लिए खुद ही मोर्चा संभाल लिया।