देश में इस साल के पहले छह महीनों में 107 बाघों की मौत दर्ज की गई है। यह आंकड़ा पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 40 फीसद अधिक है और पांच वर्षों में सबसे अधिक है। इन 107 मौतों में 20 बाघ के शावक भी शामिल हैं, जो भविष्य में बाघों की संख्या के लिए एक गंभीर खतरे का संकेत है। वर्ष 2021 से अब तक देश में 666 बाघ मृत पाए गए हैं।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत काम करने वाले राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल के पहले छह महीनों में 107 बाघों की मौत हुई है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 76 बाघों की मौत हुई थी। आंकड़ों के अनुसार, इन छह महीनों में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बाघों की मौत के मामले सबसे अधिक हैं। महाराष्ट्र में 28 बाघों की मौत हुई है, जबकि मध्य प्रदेश में 29 बाघों ने अपनी जान गंवाई।
मंत्रालय ने घटना की जांच के आदेश दिए
कर्नाटक और असम में 10-10 बाघों की मौत हुई, जबकि केरल में नौ और उत्तराखंड में सात बाघों की मौत दर्ज की गई है। इस साल जिन 107 बाघों की मौत हुई है, उनमें 20 बाघ के शावक भी शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 60 बाघों की मौत वन्य जीव अभयारण्य के बाहर हुई है जबकि 47 बाघ अभयारण्य के अंदर मृत पाए गए। 26 जून को कर्नाटक के एमएम हिल्स के हुग्याम रेंज में एक मादा बाघिन और उसके चार शावक मृत पाए गए थे। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और इस उद्देश्य के लिए एक विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया है।
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इस घटना को लेकर कर्नाटक के वन विभाग ने उप वन संरक्षक और दो अन्य अधिकारियों जांच लंबित रहने तक तत्काल प्रभाव से जबरन छुट्टी पर भेज दिया है। अगर साल के पहले छह महीनों की बात करें तो 2021 में 81 बाघों ने दम तोड़ा। इसी तरह 2022 में 70 बाघों की मौत हुई, 2023 में 103 और 2024 में 76 बाघ मृत पाए गए।