बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हमेशा ही मीडिया के चहेते रहे हैं। अपनी तमाम दुश्वारियों के चलते वे मीडिया से दूर हैं लेकिन एक समय था उनका जलवा था। टीवी के एक ऐसे ही कार्यक्रम में जब वे अपनी रौ में आए तो उन्होंने भाजपाइयों को माफी मांगने वाला बता डाला। एंकर ने आपत्ति की तो उन्होंने कहा इनमें अटल नहीं शामिल थे…न ही आडवाणी शामिल थे। ‘‘ये तो सम्मानित लोग’’ हैं। लेकिन दो नेताओं को सम्मान बख्शने के बाद वे बोले कि मैं तो देवरस आदि नेताओं के बारे में कह रहा था। देवरस संघ के मुखिया थे। लेकिन लालू भाजपाइयों को तपाने के लिए उन्हें ऐसे लपेटे में ले लेते हैं कि मानो वे कोई साधारण नेता हों।

भाजपाइयों के माफी मांगने की बात लालू ने तब की जब उनको याद दिलाया गया कि मीसा कानून में कांग्रेस द्वारा सताए जाने के बाद आपने बिटिया का नाम मीसा तो रख लिया लेकिन उसी इमरजेंसी वाली कांग्रेस के साथ आपने सरकार भी बनाई। ‘‘तो कांग्रेस को उसकी सजा तो मिली…फिर मैं कोई अकेला था कांग्रेस के साथ वामपंथी आदि सब तो थे।‘’ इतना कहकर लालू ने मीसा और इमरजेंसी को भाजपाइयों से जोड़ते हुए उन्हें माफी मांगने वाला करार दे दिया।

प्रोग्राम के दौरान लालू से कुछ सवाल फंसाऊ नेचर के भी पूछे गए, जिनसे वे पहलवान की कुशलता के साथ दांव लगाकर छिटकर अलग हो गए। इनमें पहला सवाल था बिहार का अब तक का सर्वोत्तम मुख्यमंत्री कौन हुआ है। एंकर इसके पहले कि विकल्पों के नाम (लालू, राबड़ी, नीतीश) बोल पाता, लालू न-न-न..कोई नहीं। कोई उत्तर नहीं। अगला सवाल था कि अगर मुख्यमंत्री बनाने का अवसर मिले तो इनमें से किसे गद्दी पर बिठाएंगे? विकल्प हैं-नीतीश, राबड़ी, मीसा या लालू। राजद नेता ने यहां भी एंकर को सारे नाम बोलने न दिए और नीतीश का नाम आते ही लपक लिया। बोले, कैसा सवाल है, नीतीश को सीएम बना तो दिया है। (वही उत्तर है।)

ऐसे ही बेस्ट पीएम कैंडीडेट के सभी विकल्पों को अनदेखा करते हुए केजरीवाल के खिलाफ बोल कर सवाल को उड़ाने में जुट गए। दरअसल, विकल्प में वे किसी का नाम नहीं लेना चाहते थे क्योंकि उनके सामने नाम थेः केजरीवाल, राहुल नीतीश मुलायाम। लालू भला किसी नाम पर क्यों मुहर लगाते?

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लेकिन, बेस्ट पीएम के नाम पर उन्हें न कोई भ्रम था और न ही उनका नाम लेने में कोई गुरेज। मनमोहन, वीपी सिंह, अटल और मोदी। लालू ने बात पर जोर देकर तीन बार कहा-मनमोहन, मनमोहन, मनमोहन।

“और, मोदी?” जवाब था कि मोदी का तो सवाल ही नहीं उठता।

लालू ने चीफ सेक्रेट्री से खैनी मलवाने की बात को बकवास बताते हुए कहा और बताया कि उन्होंने सड़कों की तुलना हेमामालिनी के गालों से कभी नहीं की। ये काम तो अटल जी का था। यूपी की एक सभा में थे। बोल गए कि लालू ने हेमा के लिए ऐसा कहा है।

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