केरल उच्च न्यायालय ने लक्षद्वीप से लोकसभा सांसद मोहम्मद फैजल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने हत्या के प्रयास के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि को निलंबित करने की अपील की थी। हाईकोर्ट ने पहले फैजल की दोषसिद्धि के साथ सजा को भी निलंबित कर दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद उसे अपना फैसला वापस लेना पड़ा।

हाईकोर्ट ने इस साल जनवरी में फैजल की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया था। लक्षद्वीप प्रशासन ने इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को हाईकोर्ट के फैसले को गलत बताते हुए राकांपा सांसद फैजल की सजा को निलंबित करने वाले फैसले को रद्द कर दिया था।

शीर्ष अदालत ने फैजल की संसद सदस्यता को तीन सप्ताह के लिए अस्थायी रूप से सुरक्षित रखते हुए कहा था कि निलंबन पर रोक लगाने वाले उच्च न्यायालय के आदेश का लाभ इस अवधि के दौरान लागू रहेगा। अदालत ने लोकसभा में लक्षद्वीप का प्रतिनिधित्व खाली नहीं रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने मामले को वापस उच्च न्यायालय के पास भेज दिया था। उनसे दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाली फैजल की याचिका पर नए सिरे से निर्णय लेने को कहा था।

पीएम सईद के दामाद की शिकायत पर दर्ज हुआ था केस

2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिवंगत केंद्रीय मंत्री पीएम सईद के दामाद मोहम्मद सलीह की शिकायत पर लक्षद्वीप के कवरत्ती की सत्र अदालत ने जनवरी 2023 में फैजल और तीन अन्य को 10-10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इस आदेश को फैजल ने केरल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

हाई कोर्ट ने 25 जनवरी को फैजल की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित कर दिया था। हाईकोर्ट का कहना था कि फैजल को सजा होने से उनकी सीट खाली हो जाएगी और फिर से वहां चुनाव कराना पड़ेगा। इससे बेवजह पैसा और समय जाया होगा।