राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पुतले पर गोली चलाने वाली अखिल भारतीय हिंदू महासभा की नेता पूजा शगुन पांडे शनिवार (दो फरवरी, 2019) तक गिरफ्तार नहीं की जा सकी। खुले आम घूम रही महंत को लोग लेडी गोडसे नाम से बदनाम कर रहे हैं। हिंदू महासभा के चंद्र प्रकाश कौशिक ने उसके बारे में एक चैनल को बताया था, “पांडे दो-तीन दिन के लिए कुंभ गई हैं।” इसी बीच, पांडे विवाद के बाद पहली बार कैमरे पर आई। गलती कबूलने के बजाय भड़कते हुए बोली, “मैं गांधी को नहीं मानती। क्या बापू ही स्वतंत्रता के लिए जिम्मेदार हैं, जो नोटों पर उनका फोटो आता है।” लेडी गोडसे ने आगे तंज कसते हुए कहा कि अगर गांधीगिरी से देश चल रहा है तो सैनिकों को चरखा थमा दिया जाना चाहिए।

न्यूज 24 से बातचीत में उसने राष्ट्रपिता के पुतले पर सांकेतिक गोली चलाने पर कहा, “राष्ट्रपिता क्या संवैधानिक पद है? मैंने राष्ट्रपिता नहीं सुना। हमने आरटीआई डाली और इस बारे में पूछा- क्या बापू ही आजादी के लिए जिम्मेदार हैं तो क्या अन्य बलिदान देने वाले बेकार हैं, जो गांधी ही नोटों पर छपते हैं? और वह बंदूक महज खिलौना थी। मैं गांधी को नहीं मानती। मुझे अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है? मैंने अपने कार्यालय और पारिवारिक सदस्यों के बीच ये सब किया। हर साल 30 जनवरी को मनाते हैं। इस बार इस आयोजन को थोड़ा अलग कर दिया, तो तूफान मच गया। मैं देश के संविधान को सर्वोपरि मानती हूं।”

देखें, आगे और क्या बोली ‘लेडी गोडसे’:

बकौल महंत, “अलीगढ़ मुस्लिम विवि (एएमयू) के छात्रों को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है। वे सरेआम कट्टरपंथियों की शोकसभाएं करते हैं। जनाजे निकाले जाते हैं। सरकार और पुलिस क्यों कार्रवाई नहीं होती। आजम खान भारत मां को डायन बोलते हैं, ओवैसी कहता है कि 10 मिनट के लिए पुलिस हटा दें, हम दिखा दें…इन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती। अगर गांधीगिरी से देश चल रहा है, तो सैनिकों को चरखा पकड़ा दीजिए। 30 जनवरी को जो हुआ, वह कत्ल नहीं मंचन था।”