वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम वाई एस जगन मोहन रेड्डी इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं। वजह टीडीपी मुखिया और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की ओर से लगाए गए आरोप हैं। सीएम ने दावा किया है कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और पशु की चर्बी का इस्तेमाल किया था। इस पूरे मामले में जगन मोहन रेड्डी के धर्म (ईसाई धर्म) पर भी कटाक्ष किया जा रहा है। लेकिन वह इस बात से राहत महसूस कर सकते हैं कि राज्य में यह कभी कोई मुद्दा नहीं रहा है।
ईसाईयों को लेकर राज्य में विवाद को कोई इतिहास नहीं
आंध्र प्रदेश में ईसाई आबादी के साथ सांप्रदायिक कलह का कोई इतिहास नहीं है। जगन मोहन रेड्डी से पहले उनके पिता वाई एस राजशेखर रेड्डी राज्य में काफी लोकप्रिय थे। वह भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
आंध्र प्रदेश में ईसाई समुदाय की आधिकारिक संख्या बहुत कम होने के बावजूद ईसाईयों ने सरकार का नेतृत्व किया है। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि राजशेखर रेड्डी वक़्त में आरोप थे कि राज्य में ईसाई मिशनरियों का बहुत बड़ा प्रभाव था। जगन मोहन रेड्डी के वक़्त में भी यह आरोप लगते रहे हैं। हालांकि यह मुद्दा चुनाव में नहीं दिखाई दिया और यह उनकी हार का कारण नहीं था।
जगन मोहन रेड्डी ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा
पूर्व सीएम ने जगन मोहन रेड्डी ने एक बार विधानसभा में इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा था, “हमारे परिवार को एक सीमित पहचान तक सीमित रखना सही नहीं है, हमारे परिवार में अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाह होते हैं।”
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इसका अंदाज़ा इससे भी लगाया जा सकता है कि 2019 में भारी जीत हासिल करने के बाद आंध्र के सीएम के पद पर आसीन होने से पहले वह एक चर्च के अलावा एक मंदिर और दरगाह का दौरा भी गए थे। वह दिखाने चाहते थे कि उनकी पहचान को धर्मनिरपेक्षता से जोड़ा जाए।