केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में हिमस्खलन होने से तीन सैनिकों की मौत हो गई। अधिकारियों ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि रविवार को 12,000 फीट ऊंचे सियाचिन बेस कैंप क्षेत्र में हिमस्खलन हुआ, जिसमें दो अग्निवीरों सहित तीन सैनिक फंस गए। उन्होंने बताया कि तुरंत बचाव अभियान शुरू किया गया और फंसे हुए सैनिकों के शव निकाले गए। इस हादसे में मृतक जवानों की पहचान सिपाही मोहित कुमार, अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी और अग्निवीर डाभी राकेश देवभाई के तौर पर हुई है।
सियाचिन में होती रही है घटना
सियाचिन क्षेत्र में घातक हिमस्खलनों की लंबी सूची है। 2021 में सब-सेक्टर हनीफ में एक हिमस्खलन हुआ, जिसमें दो सैनिकों की मौत हो गई। खतरनाक परिस्थितियों के बावजूद छह घंटे के कठिन अभियान के बाद कई अन्य सैनिकों और पोर्टरों को बचा लिया गया।
2019 में इसी तरह की एक घटना में एक शक्तिशाली हिमस्खलन ने 18,000 फीट की ऊंचाई पर एक चौकी के पास गश्त पर निकले चार सैनिकों और दो पोर्टरों की जान ले ली थी। इससे पहले 3 फरवरी, 2016 को 19,600 फीट की ऊंचाई पर एक विनाशकारी हिमस्खलन हुआ था, जिसमें दस सैनिक बर्फ के नीचे दब गए थे। इनमें लांस नायक हनमनथप्पा कोप्पड़ भी शामिल थे, जो जीवित पाए गए थे, लेकिन बाद में कई अंगों के काम करना बंद कर देने के कारण उनका निधन हो गया।
दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र के रूप में जाना जाने वाला सियाचिन ग्लेशियर अपनी कठोर जलवायु और ऊंचाई के कारण अत्यधिक चुनौतियां पेश करता है। दुश्मन के खतरों के अलावा यहां तैनात सैनिकों को लगातारऑक्सीजन की कमी और घातक हिमस्खलन जैसे खतरों का सामना करना पड़ता है। ताजा घटना इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की सुरक्षा करते हुए भारतीय सैनिकों द्वारा झेले जा रहे खतरों को उजागर करती है।
केदारनाथ में हुई थी हिमस्खलन की घटना
इससे पहले 4 सितंबर को केदारनाथ के ऊपरी इलाकों में चोराबारी ग्लेशियर के पास हिमस्खलन हुआ। हालांकि अधिकारियों के अनुसार किसी नुकसान की सूचना नहीं आई। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने एक बयान में कहा था कि हिमस्खलन दोपहर लगभग 2 बजे केदारनाथ मंदिर से लगभग पांच किलोमीटर ऊपर पाया गया। हालांकि स्थिति नियंत्रण में है और एहतियात के तौर पर बचाव दल को तैयार रखा गया है।