लद्दाख प्रशासन ने रविवार को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के विश्वविद्यालय को सात साल से अधिक समय पहले आवंटित की गई जमीन को वापस लेने को सही ठहराया और कहा कि यह नियमों के अनुसार किया गया है। हालांकि, ‘कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ (केडीए) वांगचुक के समर्थन में आया है और उसके लद्दाख नेतृत्व को धमकाने के किसी भी प्रयास के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी।

‘लेह एपेक्स बॉडी’ (एलएबी) के साथ मिलकर केडीए राज्य का दर्जा और केंद्र शासित प्रदेश में संविधान की छठी अनुसूची के विस्तार समेत अपनी चार मांगों के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है। लेह के डिप्टी कमिश्नर रोमिल सिंह डोंक ने 21 अगस्त को एक आदेश में कहा कि 2018 में ‘हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग’ (एचआईएएल) को आवंटित 1,076 कनाल और एक मार्ला (53.8 हेक्टेयर से अधिक) भूमि ‘‘राज्य, यानी एलएएचडीसी (लेह स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद) के अधीन आ गई है। तहसीलदार, लेह कानून के प्रावधानों के अनुसार राज्य की भूमि के उक्त खंड से सभी रुकावटों को हटाएंगे और तदनुसार राजस्व रिकॉर्ड में प्रविष्टियां करेंगे।’’

आदेश में क्या कहा गया

इतना ही नहीं आदेश में यह भी कहा गया है कि फ्यांग में यह जमीन एचआईएएल को 40 साल के पट्टे पर दी गई थी और इसका इस्तेमाल आवंटित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया है, क्योंकि आज तक कोई यूनिवर्सिटी स्थापित नहीं की गई है। आदेश में कहा गया है, ‘‘रिकॉर्ड के अनुसार, आवंटित भूमि के संबंध में कोई पट्टा समझौता नहीं किया गया है और तहसीलदार (लेह) के माध्यम से आज तक उक्त भूमि का कोई औपचारिक हस्तांतरण या अधिग्रहण नहीं किया गया है।’’

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कानून के हिसाब से पट्टा रद्द कर दिया

एलएबी के कार्यकारी सदस्य वांगचुक ने प्रशासन पर इस स्वार्थ से प्रेरित फैसले के जरिये परेशान करने का आरोप लगाया और न्याय के लिए अदालत जाने की धमकी दी, जिसके बाद लद्दाख के मुख्य सचिव पवन कोतवाल ने कहा कि एचएआईएल ने पट्टा समझौते का उल्लंघन किया, जिसके कारण कानून के अनुसार पट्टा रद्द कर दिया गया। इस बीच, केडीए नेतृत्व ने एचआईएएल को भूमि पट्टे रद्द करने पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा, ‘‘हम इसे क्षेत्र के लिए राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के लिए लड़ रहे लद्दाख नेतृत्व को धमकाने के प्रयास के रूप में देखते हैं।’’

केडीए के सह-अध्यक्ष असगर अली ने करगिल में संवाददाताओं को बताया, ‘‘नौ से 11 अगस्त तक तीन दिनों तक चली क्रमिक भूख हड़ताल के बाद केडीए कार्यकारी निकाय की पहली बैठक हुई और इसमें बड़ी संख्या में सीआरपीएफ कर्मियों की तैनाती और वांगचुक के संस्थान को भूमि पट्टे रद्द करने सहित हाल के घटनाक्रमों पर विस्तार से चर्चा की गई।