Ladakh: लद्दाख के मशहूर पर्यावरणविद् और मैगसेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने कहा है कि वह लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के हो जाने के बाद से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सोनम वांगचुक ने कहा कि लद्दाख स्थायी रूप से राज्यपाल के शासन के अधीन नहीं रह सकता है। गौरतलब है कि संविधान के छठे शेड्यूल को प्रभावी बनाकर लद्दाख के हितों के संरक्षण, ग्लेशियरों के पिघलने से पर्यावरण को हो रहे खतरे की ओर ध्यान दिलाने की मांग के साथ सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने उपवास किया था। जो पांच दिनों के बाद मंगलवार को खत्म हुआ था।
“शांतिपूर्ण क्षेत्र में उग्रवाद का बीज बोने की हो रही है कोशिश”
सोनम वांगचुक जिन्हें एक समय में पीएम मोदी का प्रबल समर्थक कहा जाता था। जब जम्मू-कश्मीर राज्य में धारा 370 को हटाया गया तब भी उन्होने इसका खुशी से स्वागत किया था। पेशे से इंजीनियर और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने कहा कि अब ऐसा महसूस होता है कि लद्दाख में प्रशासन “उग्रवाद का बीज बोने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है”
सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) जिन्होंने अपने संस्थान – हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख में अपना ‘जलवायु उपवास’ पूरा किया है, कहते हैं कि लद्दाख की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, अब उन्हें लगता है कि लद्दाखी 2019 से पहले के जम्मू और कश्मीर राज्य के हिस्से के रूप में बेहतर स्थिति में थे।
प्रशासन पर लगाए परेशान करने के आरोप
सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने कहा कि मुझे एक बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया है। मेरे स्कूल के तीन निर्दोष शिक्षकों को पुलिस स्टेशन ले जाया गया है। ताकि वे मुझे बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करें। ये हथकंडे एलजी साहब अपना रहे हैं। इस मौके पर मैं कहूंगा कि एलजी साहब, आप शांतिपूर्ण लद्दाख में उग्रवाद के बीज बोने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। जिस तरह से युवाओं को बेरोजगार रखा गया है और उनका दमन किया जा रहा है, ऐसा हो सकता है।
उन्होने कहा कि याद रखें हम ऐसा नहीं होने देंगे, मैंने नहीं सोचा था कि मैं कभी यह कहूंगा, लेकिन मैं कह रहा हूं कि हम आज के केंद्र शासित प्रदेश की तुलना में जम्मू और कश्मीर के साथ बेहतर थे। मैं यह भी कहूंगा कि हमारा कल का यूटी बेहतर और सुनहरा होगा।