कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रनब बर्धन का कहना है कि भारत में नौकरियों की कमी के चलते जाति युद्ध छिड़ सकते हैं। इकॉनॉमिक्‍स के प्रोफेसर बर्धन ने इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत में कहा,’वर्तमान सरकार को मैं आरएसएस-मोदी शासन कहता हूं। मोदी स्पिन मास्‍टर हैं और वे लुभाने वाले शब्‍दों के इस्‍तेमाल में माहिर हैं। मोदी सरकार कह रही है कि व्‍यापार करने में आसानी के मामले में हम दुनिया में श्रेष्‍ठ हैं। लेकिन सच्‍चाई है कि वर्ल्‍ड बैंक के अनुसार हमारा स्‍थान 130वां है। हालांकि एंटरप्राइज आईडी, सिंगल विंडो क्लियरेंस और बैंकरप्‍सी कोड जैसे कदम अच्‍छे हैं लेकिन अभी काफी काम करना बाकी है।’

उन्‍होंने कहा,’स्किल इंडिया अभियान मोदी सरकार ने शुरू नहीं किया है। यह काफी समय से चल रहा था। मोदी सरकार के दो साल बाद भी इस अभियान से केवल 55 लाख लोग जुड़े हैं जबकि चीन में यह आंकड़ा 9 करोड़ है। आधार, मनरेगा जैसे योजनाएं यूपीए की लाई हुई हैं और मोदी सरकार इन्‍हें आगे ही बढ़ा रही है। कोयला खदान आवंटन भी यूपीए सरकार ने शुरू किया था लेकिन श्रेय मोदी सरकार ले रही है। मोदी का स्‍वच्‍छ भारत अभियान भी निर्मल भारत ही है जो यूपीए ने शुरू किया था। ऐसे समय में जब बांग्‍लादेश पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्‍त हो गया तो मोदी झाड़ू के साथ फोटो खिंचा रहे हैं।’

भ्रष्टाचार को लेकर मोदी सरकार के कामकाज के सवाल पर प्रोफेसर बर्धन ने कहा,’ मोदी ने हाल ही में कहा कि भ्रष्‍टाचार मिट गया है। इसका क्‍या सबूत है। भाजपा के राज वाले राज्‍य में व्‍यापमं जैसे बड़े घोटाले की अनदेखी की जा रही है। यूपीए के समय जो घोटाले हुए वे खनिज पदार्थों के दाम बढ़ने के चलते हुए। अब उनके दाम कम हो गए हैं। 2014 के चुनाव प्रचार में भाजपा ने लगभग 100 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर खर्च किए। जबकि पूरा खर्चा 500 करोड़ रुपये था। इतना पैसा उनके पास कहां से आया। मोदी के भ्रष्‍टाचार को लेकर किए जाने वाले दावों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।’

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राज्‍यों और केंद्र सरकार के बीच संघवाद को लेकर जोर पर उन्‍होंने कहा,’हमें उत्‍तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में इंदिरा गांधी के तरह लगाए गए राष्‍ट्रपति शासनों को नहीं भूलना चाहिए। सबको पता है कि मोदी के मंत्रियों के पास ताकत नहीं है।’ नौकरियों को लेकर सवाल के जवाब में बर्धन ने कहा,’ देश में नौकरियों की कमी गंभीर समस्‍या है। मोदी ने लोगों को बताया कि वे पूरे देश में गुजरात मॉडल लागू करेंगे। गुजरात मॉडल से विकास तो होता है लेकिन नौकरियां नहीं बनती। तमिलनाडु इससे बेहतर मॉडल है। मोदी ने गुजरात में केवल रिलांयस, एस्‍सार और अडाणी जैसी कंपनियों को सब्सिडी दी। सही बात कहूं तो किसी में ताकत नहीं है जो भारत में नई नौकरियां पैदा कर सके। नौकरियां नहीं मिलने से युवा गलत कामों में जा रहे हैं। इसके चलते भारी नुकसान होगा। आने वाले समय में जाति युद्ध की संभावना नजर आ रही है। आरक्षण को लेकर चल रही मांग भी इसकी शुरुआत है।’

Read Original Copy here‘Lack of adequate jobs serious problem… caste war possible’, says Pranab Bardhan