दस साल में इस अनुपात में करीब 14 फीसद की कमी हुई है। केवीएस की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक 2012 में केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ने वाले कुल बच्चों में से 49.54 फीसद विद्यार्थी सरकारी कर्मचारियों के बच्चे होते थे। वहीं, 10 साल बाद 2022 में यह अनुपात घटकर 35.73 फीसद हो गया है।

साल 1962 में दूसरे वेतन आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा था कि केंद्र सरकार के स्थानांतरणीय कर्मचारियों के बच्चों के लिए ऐसे स्कूल शुरू किए जाएं जिससे स्थानांतरण होने की स्थिति में उनकी पढ़ाई का नुकसान न हो। इन सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय विद्यालय संगठन की शुरुआत हुई।

शुरुआत में शैक्षिक वर्ष 1963-64 के दौरान सुरक्षा कर्मियों की सघनता वाले इलाकों में चलाए जा रहे 20 रेजीमेंटल विद्यालयों को केंद्रीय विद्यालयों के रूप में लिया गया। वर्तमान में केवीएस देश भर में 1,248 केंद्रीय विद्यालयों को संचालित करता है। केंद्रीय विद्यालय संगठन के चार मिशनों में से पहला मिशन शिक्षा का एक सामान्य कार्यक्रम प्रदान करके रक्षा और अर्ध-सैन्य कर्मियों सहित स्थानांतरणीय केंद्र सरकार के बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करना है।

केवीएस की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च 2022 को सभी केंद्रीय विद्यालयों में कुल 14,30,442 विद्यार्थी पढ़ रहे थे जिनमें से 35.73 फीसद यानी 5,11,043 बच्चे सरकारी कर्मचारियों के थे। वहीं, दस साल पहले केंद्रीय विद्यालयों में कुल 10,91,931 विद्यार्थी पढ़ रहे थे जिनमें से 49.54 फीसद यानी 5,40,992 बच्चे सरकारी कर्मचारियों के थे। साल 2012 के बाद से सरकारी कर्मचारियों के बच्चों का अनुपात लगातार कम हो रहा है। हालांकि 2021 के मुकाबले 2022 में इसमें मामूली बढ़ोतरी हुई है। साल 2021 में सरकारी कर्मचारियों के बच्चों का अनुपात 35.05 था।

क्यों कम हो रहा सरकारी कर्मचारियों के बच्चों का अनुपात

सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी : सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कुछ सालों में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। इसके कारण सरकारी कर्मचारी अपने बच्चों को महंगे निजी स्कूलों में पढ़ाना पसंद करते हैं। कई मामलों में तो यह भी देखा गया है कि केंद्रीय विद्यालय के अधिकारी और शिक्षक अपने बच्चों को केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाने को प्राथमिकता नहीं देते हैं।

कम शुल्क : केंद्रीय विद्यालयों की शुरुआती कक्षाओं में शुल्क के रूप में विद्यालय विकास निधि ली जाती है जो बेहद कम है। इसके कारण निजी क्षेत्र में कार्य करने वाले कर्मचारी अपने बच्चों को केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें कम शुल्क में अपने बच्चों के लिए बेहतर स्कूल मिल जाता है। कोटा व्यवस्था : केंद्रीय विद्यालयों में दाखिला पाने के लिए शिक्षा मंत्रालय, सांसद आदि कोटा होता था जिसे वर्तमान में खत्म कर दिया गया है। इस कोटे के कारण गैर सरकारी कर्मचारी श्रेणी के काफी बच्चों का दाखिला हो जाता था। इसका असर भी सरकारी कर्मचारियों के बच्चों के अनुपात में पड़ा है।