UP Bypoll 2024: उत्तर प्रदेश की राजनीति के धुरंधर और यहां की राजनीतिक नब्ज को समझने वाले तमाम बड़े राजनीतिक विश्लेषक इस बात को लेकर हैरान हैं कि विधानसभा उपचुनाव में कुंदरकी की सीट पर बीजेपी आखिर कैसे जीत गई। बीजेपी का कहना है कि उसे यह जीत योगी सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों और पार्टी संगठन की मेहनत की बदौलत हासिल हुई है।

इस सीट पर बीजेपी की जीत के चर्चे इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि कुंदरकी में 62 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है और यहां सिर्फ बीजेपी का ही उम्मीदवार हिंदू समुदाय से था जबकि विरोध में खड़े 11 अन्य उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय से थे।

इसके बाद भी बीजेपी ने यहां 1.44 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। ऐसे में आइए इस पर बात करते हैं कि बीजेपी को कुंदरकी में आखिर इतनी बड़ी जीत कैसे मिली?

कुंदरकी सीट पर 1993 में अंतिम बार हिंदू प्रत्याशी जीता था। उसके बाद से लगातार मुस्लिम समुदाय के नेता ही यहां जीत दर्ज करते रहे हैं।

कुंदरकी में 1996 से नहीं बना कोई हिंदू विधायक

साल विधायक का नाम
1996अकबर हुसैन
2002मोहम्मद रिज़वान
2007अकबर हुसैन
2012मोहम्मद रिज़वान
2017मोहम्मद रिज़वान
2022जिया उर रहमान बर्क

सपा को थी उम्मीद, हर हाल में मिलेगी जीत

कुंदरकी में समाजवादी पार्टी अपनी जीत तय मान कर चल रही थी और इसके पीछे दो ठोस वजह हैं।

पहली वजह है जातीय समीकरण सपा के पक्ष में होना। कुंदरकी विधानसभा सीट पर कुल 3,83,488 मतदाता हैं। इसमें से लगभग सवा दो लाख मुस्लिम मतदाता हैं। 63,000 एससी-एसटी और 30-30 हजार क्षत्रिय समुदाय और सैनी वर्ग के मतदाता हैं। यादव मतदाताओं की संख्या यहां 15 हजार है। बाकी मतदाता अन्य समुदायों के हैं। कुंदरकी में न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के बल्कि यादव और अनुसूचित जाति समाज के मतदाताओं की संख्या को देखते हुए भी सपा के नेताओं को यह उम्मीद थी कि उन्हें इस सीट पर जीत हर हाल में मिलेगी।

कुंदरकी में बीजेपी की जीत की है जोरदार चर्चा। (Source-FB)

दूसरी वजह यह है कि यह सीट जिया उर रहमान बर्क के इस्तीफे से खाली हुई थी। जिया उर रहमान बर्क संभल से कई बार सांसद रहे और इस इलाके के बड़े नेता शफीकुर रहमान बर्क के भतीजे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में जिया उर रहमान बर्क ने बीजेपी के उम्मीदवार कमल कुमार को 43,162 वोटों से हराया था। जीत का यह अंतर काफी बड़ा था इसलिए सपा इस सीट पर अपनी जीत तय मानकर चल रही थी।

उपचुनाव वाली नौ विधानसभा सीटों में से कुंदरकी में सबसे अधिक 57.7% मतदान हुआ था।

लगातार संपर्क में रहे रामवीर सिंह

अब बात करते हैं बीजेपी को यहां जीत कैसे मिली। कुंदरकी विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत की एक बड़ी वजह यहां से उसके प्रत्याशी रामवीर सिंह का लोगों के लगातार संपर्क में रहना है। 52 साल के रामवीर सिंह द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में बताते हैं कि यहां उनकी पार्टी ने स्थानीय मुद्दों पर ही चुनाव प्रचार को केंद्रित रखा और जनता को बताया कि कैसे पूर्व विधायक और सपा उम्मीदवार हाजी रिजवान लोगों को गुमराह कर रहे हैं। पार्टी ने चुनाव अभियान के दौरान लोगों को यह भी बताया कि किस तरह सरकारी योजनाओं से न सिर्फ मुस्लिम समुदाय बल्कि सभी लोगों को फायदा मिल रहा है।

इससे पहले भी रामवीर सिंह और हाजी रिजवान दो बार एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने आ चुके हैं। 2012 और 2017 में इन दोनों बड़े नेताओं के बीच सीधी भिड़ंत हुई थी जिसमें रिजवान ने क्रमशः 20,000 और 17,000 वोटों से जीत दर्ज की थी।

महाराष्ट्र चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने किया था धुआंधार प्रचार। (Source-FB)

रामवीर सिंह द इंडियन एक्सप्रेस को बताते हैं कि तीन दशकों तक लगातार जमीन पर काम करने और सभी समुदायों के साथ ही मुस्लिम समुदाय का भी अच्छा समर्थन मिलने की वजह से उन्हें इस चुनाव में जीत मिली है।

राजनीति में सक्रिय है परिवार

रामवीर सिंह का परिवार भी राजनीति में सक्रिय है। उनके बड़े भाई 35 साल तक गांव के प्रधान रहे, वह खुद जिला पंचायत सदस्य रहे हैं, उनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं। इसके अलावा उनके परिवार और उनके राजनीतिक सहयोगी ब्लॉक प्रमुख बनते रहे हैं। इस इलाके के मुस्लिम जनप्रतिनिधियों के साथ भी रामवीर सिंह के अच्छे संबंध हैं। रामवीर सिंह कहते हैं कि मुस्लिम समुदाय का भी चुनाव में उन्हें समर्थन मिला।

बीजेपी ने कुंदरकी के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय के नेताओं को भी जिम्मेदारी दी और उन्हें पन्ना प्रमुख बनवाया। इसके अलावा मुस्लिम मतदाताओं के बीच लगातार संपर्क किया और अल्पसंख्यक सम्मेलन भी करवाया।

उपचुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सियासी कद बढ़ा है और बताया जा रहा है कि जल्द ही उत्तर प्रदेश में योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। पढ़िए, इससे जुड़ी यह खबर