कोरोना संकट के बीच कुंभ स्नान को आयोजित कराना मेला प्रबंधकों के लिए एक बड़ी चुनौती की तरह से है। यही वजह है कि सुरक्षा इंतजामों से ज्यादा लोगों की निगरानी को तरजीह दी जा रही है। सुबह 3.30 बजे से ही लाउड स्पीकरों के जरिए लोगों को हिदायतें दी जाने लगती हैं कि अपने नजदीकी घाट पर जाकर स्नान कर लें। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता है मेला प्रबंधकों की आवाज में तल्खी आने लगती है औऐर वो कहते सुने जाते हैं कि केवल तीन डुबकी लगाकर पानी से बाहर आ जाएं। शाम होते-होते उनकी आवाज से चिंता भी झलकने लगती है। लोगों को मास्क न पहनने को लेकर लाउड स्पीकरों से चेताया जाता है। उन्हें जल्दी घाट खाली करने को कहा जाता है।
कोरोना की वजह से 2020 में कुंभ स्नान को स्थगित करना पड़ा था। बुधवार रात से गुरुवार शाम तक इस बार तकरीबन 28 लाख लोग स्नान के लिए हरिद्वार पहुंचे हैं। मेला प्रबंधक दीपक रावत के मुताबिक, आयोजन उत्तराखंड के चार जिलों तक फैला है। सूबे के नवनियुक्त सीएम तीरथ सिंह रावत दोपहर के समय मेले में पहुंचे थे। उनके हेलीकॉप्टर से हर की पौड़ी पर मौजूद श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई। सुबह 10 बजे से लेकर शाम 6.30 बजे तक हर की पौड़ी के घाट को आयोजन समिति के सदस्यों, नागा साधुओं और 13 अखाड़ों के लिए रिजर्व रखा जाता है। सभी एक के बाद एक करके घाट पर पहुंचते हैं और तीन डुबकी में शाही स्नान करते हैं।
मेला आयोजक कोरोना को लेकर कितने संजीदा हैं, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि हरिद्वार में आने वाले लोगों के लिए rt-pcr रिपोर्ट अनिवार्य की गई है। हालांकि भीड़ की वजह से सभी की जांच नहीं हो पा रही है, लेकिन प्रबंधक कुछ लोगों की रिपोर्ट जरूर चैक कर रहे हैं। ग्वालियर के स्कूल टीचर चंद्रभान कहते हैं कि बस में बैठने से पहले उनकी कोरोना रिपोर्ट जांची गई थी। जबकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पैदल ही स्नान के लिए पहुंचे हैं। बरेली का रूपभान उनमें से ही एक है। वह 250 किमी की यात्रा पैदल करके हरिद्वार तक पहुंचे हैं।
मेले की सुरक्षा संभाल रहे एडिशनल एसपी सुरजीत सिंह पवार कहते हैं कि पिछली बार मेला कोरोना के चलते स्थगित करना पड़ा था। इस वजह से प. यूपी के लोग यहां नहीं आ सके। इस बार बड़ी तादाद में लोग पहुंच रहे हैं। राज्य पुलिस के 5000 जवानों के साथ बीएसएफ के लोग सुरक्षा व्यवस्था को देख रहे हैं। मेला प्रबंधक साफ सफाई को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। घाटों की सफाई नियमित रूप से कराई जा रही है। हर 10 मोबाइल शौचालय के साथ एक वाश बेसिन बनाया गया है। महिलाओं के लिए 150 चेजिंग रूम बनाए गए हैं। कोरोना काबू में रहे इसके लिए 50 लोग ड्रमों के जरिए सेनिटाइजर लोगों तक पहुंचा रहे हैं।
सारे मेला परिसर को 25 सेक्टरों में बांटा गया है। प्रबंधकों का कहना है कि रियल टाइम सर्विलेंस को तरजीह दी जा रही है, क्योंकि लाखों लोगों की भीड़ पर कैमरे जरिए निगाह रखना मुश्किल है। उनका कहना बहै कि महिलाओं को परेशानी न हो इसरे लिए 118 घाटों में से एक उनके लिए रिजर्व रखा गया है। प्रबंधकों का कहना है कि अप्रैल में जब दूसरा शाही स्नान होगा तब 315 उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे यहां लगा दिए जाएंगे। उनका कहना है कि पिछली बार मेले का आयोजन रद करना पड़ा था। इस बार भीड़ को संभालना वाकई चुनौतीपूर्ण है। उनका कहना है कि चिंता की बात नहीं, लेकिन लोगों को बताया जा रहा है कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ, लिहाजा सावधानी बरतें।