इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में बुधवार (17 जुलाई, 2019) को 15-1 से भारत के पक्ष में फैसला आया। देश के पक्ष में निर्णय देने वाले जजों में चीन की जज शू हांकिन भी शामिल रहीं। ऐसा तब हुआ, जब अब तक के इतिहास में चीन हर बार पाकिस्तान का पक्ष लेता नजर आया है। फिर चाहे मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी का टैग दिलाने का मसला हो या फिर कोई और केस हो।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन मूल की हांकिन, जून 2010 से आईसीजे सदस्य हैं। 2012 में वह दोबारा चुनी गई थीं, जबकि छह फरवरी 2018 को उन्हें आईसीजे की उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। शू, चीन के लीगल लॉ डिवीजन की मुखिया और नीदरलैंड में चीन की राजदूत रह चुकी हैं।
16 जजों की बेंच की अगुवाई आईसीजे के प्रमुख जज अब्दुलकावि अहमद युसूफ ने की। जजों की ज्यूरी में इकलौते भारतीय जज जस्टिस दलवीर भंडारी भी शामिल रहे। वह 2012 से अंतरराष्ट्रीय अदालत के जज हैं, जबकि पाकिस्तान से तस्सदुक हुसैन जिलानी भी इस टीम में थे। हालांकि, वह बेंच के स्थाई हिस्सा नहीं हैं और भारत के खिलाफ संभवतः उन्हीं ने वोट डाला।
नीदरलैंड के द हेग स्थित आईसीजे ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि पाकिस्तान को जाधव को सुनाई फांसी की सजा पर प्रभावी तरीके से पुनःविचार करना चाहिए। साथ ही राजनयिक पहुंच प्रदान करनी चाहिए। बता दें कि 49 वर्षीय भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में बंद कमरे में सुनवाई के बाद जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर फांसी की सजा सुनाई थी। भारत में इस बाबत खासा गुस्सा देखने को मिला था।
कोर्ट के अध्यक्ष जज अब्दुलकावी अहमद यूसुफ की अगुवाई वाली 16 सदस्यीय बेंच ने जाधव को दोषी ठहराए जाने और उन्हें सुनाई सजा की ‘प्रभावी समीक्षा करने और उस पर पुनःविचार करने’ का आदेश दिया। बेंच आगे बोली- उसने पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाने का निर्देश दिया था कि मामले में अंतिम फैसला तब तक नहीं आता, तब तक जाधव को सजा नहीं दी जाए।
हालांकि, बेंच ने भारत की अधिकतर मांगों को खारिज कर दिया, जिनमें जाधव को दोषी ठहराने के सैन्य अदालत के फैसले को रद्द करने, उन्हें रिहा करने और भारत तक सुरक्षित तरीके से पहुंचाना शामिल है। पीठ ने एक के मुकाबले 15 वोटों से यह व्यवस्था भी दी कि पाकिस्तान ने जाधव की गिरफ्तारी के बाद राजनयिक संपर्क के भारत के अधिकार का उल्लंघन किया।