भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी निदेशक केवी सुब्रमण्यन को उनके कार्यकाल पूरा होने से पहले ही भारत वापस बुला लिया है। अब यह पद क्यों छोड़ा गया, क्या कारण रहे, अभी इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। जनसत्ता के सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस को जरूर इस बारे में कुछ जानकारी हासिल हुई है।

विवाद किस बात को लेकर था?

सूत्रों के मुताबिक IMF के डेटा सेट को लेतर कृष्णमूर्ति ने सवाल उठाए थे, उनकी तरफ से उनकी India @ 100 किताब का भी काफी प्रमोशन किया गया था, इसे भी IMF ने सही नहीं माना है। इन्हीं कारणों की वजह से संभावना है कि कार्यकाल खत्म होने से 6 महीने पहले ही उन्हें वापस भारत बुला लिया गया है। खुद केवी सुब्रमण्यन ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दै, उनकी तरफ से बयान देने से बचा जा रहा है।

अब जानकारी के लिए बता दें कि कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन पहले चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर थे, 2022 में भारत सरकार ने ही उन्हें IMF में बतौर कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया था। तीन साल का उनका कार्यकाल रहना था, लेकिन अब 6 महीने पहले ही खत्म कर दिया गया है। उनका कार्यकाल कई कारणों से चर्चा में रहा, उनके बयान भी वायरल हुए।

भारत के लिए क्या बड़ा झटका?

इस साल फरवरी में उन्होंने IMF की रेटिंग को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने जोर देकर कहा था कि IMF जो रेटिंग देता है वो गुमराह करने वाली रहती है, पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ जाती है और उसमें तथ्य की कमी होती है। वैसे यह अहम पद उस समय खाली हुआ है जब भारत पूरी कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तान को अतिरिक्त फंड ना मिले। भारत इसका विरोध करने वाला था, लेकिन उससे पहले ही कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन की सेवाओं का समाप्त होना बड़ी बात है।

IMF में क्या काम करते थे कृष्णमूर्ति?

जानकारी के लिए बता दें कि IMF में एग्जीक्यूटिव बोर्ड का जो पद होता है वो काफी अहम है। रोज के जो भी बिजनेस वाले काम रहते हैं, वो उनके खाते में जाते हैं। एक हफ्ते में ही कई मौकों पर इस बोर्ड की मीटिंग हो जाती है। IMF में इस समय कुल 24 एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं, कई देशों के शामिल हैं।

Aanchal Magazine की रिपोर्ट