कोटा में और देश के कई राज्यों में छात्रों की सुसाइड की खबर ने सभी को परेशान किया है। कोटा में तो इस साल अभी तक 24 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स को भी रेगुलेट करने की मांग की गई। अब उस मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने एक अहम टिप्पणी की है। ये टिप्पणी एक तरफ कोचिंग सेंटर्स को राहत दे सकती है तो वहीं बच्चों के अभिभावकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है।

असल में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली दो सदस्य बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान एक बयान में कोर्ट ने कहा कि आत्महत्याएं कोचिंग सेंटर्स की वजह से नहीं हो रही हैं, बल्कि इसलिए हो रही हैं क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पा रहे। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि समस्या कोचिंग सेंटर्स की नहीं बल्कि अभिभावकों की है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सलाह दी कि याचिकाकर्ता अपनी याचिका लेकर राजस्थान हाई कोर्ट जा सकता है क्योंकि जिन मामलों का जिक्र किया गया, वो ज्यादातर कोटा से जुड़े थे। वैसे कोटा में सुसाइड एक गंभीर चुनौती बन भी चुकी है। तमाम आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं।

साल 2015 में 17 छात्रों ने सुसाइड किया, 2016 में 16, 2017 में 7, 2018 में 20, 2019 में 8, 2020 में 4 और 2022 में 15। अब ये आंकड़ा बताता है कि पिछले कुछ सालों में एक बार फिर सुसाइड केस में वृद्धि देखने को मिल गई है। पुलिस द्वारा एक टीम का गठन किया गया है, वो लगातार जमीन पर जा छात्रों से बात कर रही है, उनकी परेशानियों को सुन रही है, हेल्पलाइन नंबर के जरिए भी मदद पहुंचाई जा रही है। लेकिन इन तमाम प्रयासों के बावजूद भी आत्महत्या हो रही हैं, छात्र अपना जीवन खत्म कर रहे हैं।