पुत्तिंगल देवी मंदिर में भीषण आग त्रासदी के सिलसिले में पुलिस ने छह लोगों के खिलाफ हत्या की कोशिश समेत अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया है, जिनमें मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य और आतिशबाजी ठेकेदारों के सहायक शामिल हैं। वहीं एक शीर्ष विस्फोटक नियंत्रक अधिकारी ने नियमों के गंभीर उल्लंघन तथा प्रतिबंधित रसायनों के इस्तेमाल की ओर इशारा किया है। केरल उच्च न्यायालय मंदिर के समारोहों में आतिशबाजी प्रदर्शन पर प्रतिबंध की याचिका पर मंगलवार (12 अप्रैल) सुनवाई करेगा। रविवार (10 अप्रैल) को हुई त्रासदी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 109 पहुंच गई है। 300 से ज्यादा लोगों का अब भी अनेक अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
पुलिस ने कहा कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 308 (गैर इरादतन हत्या के प्रयास) के तहत और विस्फोटक सामग्री कानून की धारा चार के तहत मामला दर्ज किया गया है। मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों के अलावा ठेकेदारों के सहायकों के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया गया है जिन्होंने जिला प्रशासन की पाबंदी के बावजूद आतिशबाजी प्रदर्शन की प्रतिस्पर्धा आयोजित की। अपराध शाखा ने भी आतिशबाजी विस्फोट के मामले में जांच शुरू कर दी।
हालात का जायजा लेने के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त मुख्य विस्फोटक नियंत्रक, नागपुर, सुदर्शन कमल ने आज मौका मुआयना करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि नियमों का गंभीर रूप से उल्लंघन किया गया और बुनियादी सतर्कताओं तथा पाबंदी आदेश का पालन नहीं किया गया। कमल ने कहा, ‘‘विस्फोटक नियमों के गंभीर उल्लंघन की बात दिखाई देती हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रदर्शन में इस्तेमाल विस्फोटकों की जांच करने यहां आये हैं।’’ कमल ने कहा कि आपूर्तिकर्ताओं ने प्रतिबंधित रसायनों का इस्तेमाल किया।
इस बीच, पुलिस ने पास के आतिंगल में एक गोदाम से कम से कम 100 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया। पुलिस ने दो कारों को भी जब्त कर लिया जिनमें आतिशबाजी बनाने के लिए इस्तेमाल कच्चा माल पड़ा था। इससे पहले त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) ने कहा था कि वह ऐसी आतिशबाजी प्रदर्शनी पर पूरी तरह प्रतिबंध के पक्ष के नहीं है। बोर्ड राज्य में करीब 1255 मंदिरों का प्रबंधन संभालता है। टीडीबी अध्यक्ष प्रयार गोपालकृष्णन ने कहा कि बोर्ड मंदिर के उत्सवों के दौरान पटाखों पर पाबंदी के खिलाफ है क्योंकि ये परंपराओं का हिस्सा हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ सरकार की पाबंदियों और अदालती आदेशों के अनुरूप इनका आयोजन होना चाहिए।
आतिशबाजी प्रदर्शन में नियमों की गंभीर अवहेलना की बात सामने आने के बाद एक निजी ट्रस्ट द्वारा संचालित मंदिर की 15 सदस्यीय प्रबंध समिति में से किसी ने अभी तक इस दुखद हादसे पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वे ‘फरार’ हैं। अब भी सदमे से उबर नहीं पा रहे स्थानीय लोग दुर्घटना में मारे गये अपने प्रियजनों को अंतिम विदाई देने के लिए धीरे धीरे तैयार हो रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि जिन लोगों के शवों की पहचान कर ली गयी है उन्हें रिश्तेदारों को सौंपा जा रहा है। तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल समेत अस्पतालों में मार्मिक दृश्य था जहां अपनों के शव के इंतजार में लोगों को बिलखते देखा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि आठ घायलों को सोमवार (12 अप्रैल) तड़के टीएमसीएच लाया गया जिनका कोल्लम के अस्पतालों में इलाज चल रहा था।
प्रतिबंध के बावजूद आतिशबाजी पर विरोधाभासी रिपोर्टों के बीच कोल्लम की जिला कलेक्टर ए शाइनामोल ने दावा किया कि उन्होंने आतिशबाजी की इजाजत नहीं दी थी और उन पर इसके लिए अनुमति देने या नहीं देने का कोई दबाव नहीं था। कलेक्टर ने कहा, ‘‘हमने पुलिस को इस बात के स्पष्ट दिशानिर्देश दिये थे कि आतिशबाजी का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाए। मैंने केवल अपना काम किया। मुझ पर कोई दबाव नहीं था। अनुमति देने या उससे इनकार करने के लिए कुछ जरूरी प्रक्रियाएं हैं। हमने पुलिस और तहसीलदार से रिपोर्ट मांगी है।’’
इस अधिकारी ने यह भी कहा, ‘‘सिफारिश की गयी थी कि प्रतिस्पर्धी स्वभाव और स्थान की कमी के कारण आतिशबाजी की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। परंतु किसी ने आगे बढ़कर यह सब किया। मैंने इसकी जांच के लिए कहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस को जिला कलेक्टर के आदेशों का पालन करना होता है और मैंने कोल्लम आयुक्त से स्पष्टीकरण देने को कहा है।’’ कोल्लम के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट शाहनवाज ने कहा कि प्रतिबंध के आदेश का उल्लंघन किया गया है और इसकी जांच होनी चाहिए कि यह उल्लंघन किसने किया है।
इस बीच केरल उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी चिदंबरेश ने अदालत को पत्र लिखकर केरल के सभी मंदिरों में विस्फोटक पटाखों के इस्तेमाल पर तत्काल रोक की मांग की। उन्होंने कहा कि उनके पत्र को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है। जिस पर मंगलवार (12 अप्रैल) को सुनवाई हो सकती है। अपराध शाखा के अधिकारियों और विस्फोटक मुख्य नियंत्रक के कार्यालय के अधिकारियों ने तिरुवनंतपुरम से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित घटना स्थल से सबूत एकत्रित किये।
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी विज्ञप्ति के अनुसार तीन और घायलों की मौत के साथ इस घटना में मारे गये लोगों की संख्या बढ़कर 109 हो गयी है। करीब 300 लोगों का अब भी अनेक अस्पतालों में उपचार चल रहा है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री वी एस शिवकुमार ने कहा कि यहां मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराये गये सात लोगों की हालत गंभीर है। सौ साल पुराने मंदिर में यह त्रासदी रविवार (10 अप्रैल) तड़के साढ़े तीन बजे के करीब हुई, जब मंदिर परिसर में आतिशबाजी चल रही थी। हजारों लोग इसे देखने के लिए एकत्र हुए थे। मृतकों में 14 की पहचान अभी नहीं हो सकी है क्योंकि शरीर बुरी तरह जल गये हैं।