आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा आज भी एक बड़ा मुद्दा है। खासकर उन डॉक्टर्स के लिए जिन्हें इमरजेंसी वार्ड में काम करना होता है। यह बात बलात्कार और हत्या के मामले के बाद से जारी विरोध प्रदर्शन के दौरान एक डॉक्टर ने इंडियन एक्सप्रेस से कही। वह इसकी वजह बताते हुए कहते हैं कि इमरजेंसी वार्ड एक ऐसी जगह है जहां हर वक़्त भीड़ होती है, हर तरह के मरीज आते हैं, ऐसे कई उदाहरण हैं जब नशे में धुत भीड़ का सामना भी डॉक्टर्स को करना पड़ता है। ऐसे लोगों को कंट्रोल करने के लिए कोई मशीनरी नहीं है। परेशानी की हालत में भी डॉक्टर कुछ कह नहीं पाते क्योंकि वह काम में उलझे होते हैं।
अपनी साथी ट्रेनी डॉक्टर के साथ जो कुछ हुआ, उसे आरजी कर अस्पताल के डॉक्टर्स भुला नहीं पा रहे हैं। अस्पताल के दरवाजे पर भीड़ हर वक़्त जमा रहती है। नारे लगाए जाते हैं, गुस्सा दिखाई देता है और हर तरफ लिखाई देता है ‘We Want Justice’
‘हम सिर्फ इंसाफ चाहते हैं’
इंदौर के रहने वाले 21 साल के इंजीनियरिंग छात्र जतिन घटना के बारे में सुनने के तीन दिन बाद कोलकाता पहुंच गए थे। जतिन की यह पहली कोलकाता यात्रा थी। दो दिनों तक वे विरोध स्थल पर चुपचाप खड़े रहे, तख्तियां थामे और बंगाली में नारे लगाते रहे, जबकि उन्हें बंगाली आती भी नहीं थी। उन्होंने कैमरों से हमेशा दूरी बनाए रखी, केवल तभी बात की जब कैमरे बंद थे। उनका सिर्फ इतना कहना रहा,’हमें सिर्फ न्याय चाहिए।’
पश्चिम बंगाल के उत्तरी उपनगर खरदाह से 42 साल के मनीरुद्दीन अहमद अपनी छोटी बेटी के साथ स्वतंत्रता दिवस पर विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आए थे। उन्होंने कहा,”एक पिता के रूप में मैं चुप नहीं रह सकता था। मुझे अपनी बेटी को दिखाना है कि मैंने इस दुनिया को उसके लिए एक सुरक्षित जगह बनाने की कोशिश की है।”
‘कौन करेगा हमारी सुरक्षा’
जो कुछ 9 अगस्त को हुआ, इस पूरी घटना ने आरजी कर अस्पताल में लंबे समय से चली आ रही सुरक्षा समस्याओं को उजागर कर दिया है। अस्पताल के जूनियर डॉक्टर डॉ. सौरव रॉय अपने साथियों के दर्द को साझा करते हुए कहते हैं, “घटना को हुए 12 दिन हो चुके हैं, लेकिन एक शख्स की शुरुआती गिरफ़्तारी के अलावा, कोई अन्य गिरफ़्तारी नहीं हुई है। हम सुप्रीम कोर्ट, CJI के बयान का स्वागत करते हैं। लेकिन यह हमारे लिए लड़ाई का अंत नहीं है, हमारी लड़ाई जारी है।”
घटना की रात ड्यूटी पर मौजूद एक अन्य जूनियर डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब कई अजनबी लोगों ने बिना सहमति के महिला डॉक्टरों की तस्वीरें ली हैं। वह ऐसी कुछ घटनाओं का ताजा उदाहरण भी बताते हैं।
घनी आबादी के बीच बना अस्पताल, वूमेन हॉस्टल भी सुरक्षित नहीं
आरजी कर अस्पताल घनी आबादी वाले क्षेत्र में है। पूरे परिसर को देखने में 15-20 मिनट से ज़्यादा समय नहीं लगता और कोई यह नहीं बता सकता कि अस्पताल का क्षेत्र कहां खत्म होता है और डॉक्टरों के क्वार्टर कहां से शुरू होते हैं। वहां अतिक्रमण करने वालों के लिए सख्त हिदायते लिखी हुई हैं लेकिन उन्हें पूरी तरह से अनदेखा किया जाता है। नाम न बताने की शर्त पर एक महिला डॉक्टर कहती हैं कि इस साल की शुरुआत में हमारे पास महिला छात्रावास के सामने पुरुष कपड़े उतारते हुए देखे गए थे, लेकिन शुक्र है कि गार्ड ने उन्हें भगा दिया था।