कोलकाता की सियालदह अदालत ने शनिवार को आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में मुख्य आरोपी संजय रॉय को दोषी पाया। सियालदह अदालत के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने जब फैसला पढ़ा, उसके बाद संजय रॉय ने खुद को बेगुनाह करार दिया और कहा कि उन्हें झूठा फंसाया जा रहा है। संजय ने कहा कि एक आईपीएस अधिकारी उस घटना में शामिल था जिसके कारण 9 अगस्त को एक पीजी चिकित्सक की मौत हो गई थी।

एक आईपीएस अधिकारी घटना में शामिल- संजय रॉय

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार संजय रॉय ने कहा, “मैंने ऐसा नहीं किया है। जिन लोगों ने ऐसा किया है उन्हें जाने दिया जा रहा है। एक आईपीएस अधिकारी शामिल है। मैं हमेशा अपनी गर्दन पर रुद्राक्ष की एक चेन पहनता हूं। यदि मैंने अपराध किया होता तो घटना के स्थान पर मेरी चेन टूट जाती। मैं यह अपराध नहीं कर सकता।”

संजय रॉय को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और सजा सोमवार को सुनाई जाएगी। सियालदह अदालत के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने कहा, “आरोपी पर सोमवार को सुनवाई होगी। अब उसे न्यायिक हिरासत में भेजा जा रहा है। उसकी सजा का ऐलान सोमवार को किया जाएगा। मैंने मामले की सुनवाई के लिए 12.30 बजे का समय तय किया है।” बता दें कि एक से अधिक लोगों की संलिप्तता और सबूतों से छेड़छाड़ को लेकर कई लोगों ने चिंता जताई है।

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राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं- केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार

केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, “अदालत ने संजय रॉय को दोषी ठहराया है, लेकिन पश्चिम बंगाल के लोगों का मानना ​​है कि घटना में एक से अधिक लोग शामिल हो सकते हैं। जब कोलकाता पुलिस द्वारा पांच दिनों तक मामले की जांच की जा रही थी, तो सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई थी। हम चाहते हैं कि सख्त सजा दी जाए। आरजी कर घटना से पता चला है कि पश्चिम बंगाल राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है।”

संजय रॉय को बलात्कार के लिए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 के साथ-साथ धारा 66 और 103(1) के तहत मौत और हत्या करने के लिए दोषी ठहराया गया था। विशेष रूप से बीएनएस की धारा 103(1) में अधिकतम आजीवन कारावास या मौत की सजा का प्रावधान है।