Know Your City: सुलतानपुर का महत्व वैदिक काल से ही रहा है। इसके साथ ही इसके बारे में ये भी जानकारी मिलती है कि इस नगर को भगवान राम के बेटे कुश द्वारा बसाया गया गया था। बुद्ध काल में भी सुलतानपुर की महत्ता बनी रही। हालांकि इसका नाम सुलतानपुर अलाउद्दीन खिलजी ने द्वारा किए गए आक्रमण के बाद रखा गया। अलाउद्दीन के आक्रमण के पहले तक इसे कुशभवनपुर के नाम से जाना जाता था।

भगवान राम के बेटे कुश ने इस शहर को बसाया था। जिसके वजह से इसको कुशभवनपुर के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां गोमती नदी के तट पर सीता कुंड स्थित है। बताया जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान यहां स्नान किया था। जिसकी वजह से चैत्र और कार्तिक मास में यहां बड़ा मेला लगता है साथ ही लोग इस कुंड में नहाते भी हैं।

चीनी यात्री ने अपनी किताब में किया है वर्णन

सुलतानपुर के इतिहास काफी पुराना माना जाता है। भारतीय पुरातत्व विभाग के जनक माने जाने वाले जनरल कनिंघम की मानें तो इसे प्राचीन शहर माना जाता है। कनिंघम की मानें तो चीनी प्राचीन यात्री ह्वेनसांग द्वारा वर्णित जानकारी के अनुसार कुशपुर (कुशभवनपुर) को प्राचीन शहर के रूप में पहचान की गई थी। ह्वेनसांग ने लिखा है कि उनके समय में यहां पर अशोक के द्वारा निर्मित बड़े स्तूप स्थित थे और महात्मा बुद्ध ने यहां स्वयं छह महीने तक शिक्षा दी थी। शहर से 8 किमी दूर स्थित महमूदपुर गांव में बौद्ध अवशेष अभी भी दिखाई देते हैं।

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ऐसी जानकारी मिलती है कि दिल्ली सल्तनत के दौरान अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का बादशाह था। बताया जाता है कि उस समय दो मुसलमान भाई सईद मुहम्मद और सईद अलाउद्दीन पेशे से घोड़े के व्यापारी थे। उन्होंने तत्कालीन भर राजाओं को कुछ घोड़ों को बेचने की पेशकश की। लेकिन भर राजाओं ने उनके घोड़ों को जब्त कर लिया और दोनो भाइयों को मार दिया। यह खबर जैसे ही अलाउद्दीन खिलजी को मिली। जिसके बाद खिलजी ने एक बड़ी सेना के साथ भरों पर आक्रमण कर दिया और अधिकांश भरों की हत्या कर कुशभवनपुर के स्थान पर सुलतानपुर की स्थापना की|

किसान आंदोलन का बड़ा केंद्र रहा सुल्तानपुर

आजादी की लड़ाई में भी सुलतानपुर का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। 1857 के स्वाधीनता संग्राम में क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को उखाड़ फेंकने में जान की बाजी लगाकर अंग्रेज़ों से लड़ाई लड़ी। 1921 में हुए किसान आंदोलन में सुलतानपुर ने खुलकर भाग लिया। आजादी की लड़ाई में किसान नेता बाबा राम चंद्र और बाबा राम लाल इस संदर्भ में उल्लेखनीय है, जिनके त्याग का वर्णन पं. जवाहर लाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा में किया है।

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सुलतानपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की बात करें तो बिजेथुआ महावीर मंदिर आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। यहां हनुमान जी के इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ पहुंचती है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर के पास स्थित तालाब में ही स्नान करने के बाद हनुमान जी ने कालनेमि राक्षसी का वध किया था। इसके अलावा गोमती नदी के किनारे स्थित सीता कुंड लोगों के लिए आस्था का केंद्र है।