मध्यकालीन भारत में तुगलक वंश के शासक रहे मुहम्मद बिन तुगलक की याद में उसके भाई फिरोज शाह तुगलक ने आज के जौनपुर की नींव रखी थी। जौनपुर पर सबसे पहले आक्रमण 13वीं सदी कन्नौज के शासक ने किया था। कन्नौज शासक ने जौनपुर का नाम पहले यवनपुर रखा इसके बाद फिरोजशाह तुगलक ने इसका नाम जौनपुर रखकर इस शहर की नींव रखी। हालांकि इस शहर का विकास शर्की साम्राज्य के समय में हुआ। शर्की शासक कला प्रेमी माने जाते थे इस वजह से उसके शासक ने यहां मकबरों, मस्जिदों और मदरसों का निर्माण किया गया।

ऋषि मुनियों का रहा है निवास स्थान

उत्तर प्रदेश के जौनपुर का इतिहास बहुत पुराना बताया जाता है। जौनपुर के प्राचीन समय की बात करें तो यहां ऋषि मुनियों का निवास स्थान हुआ करता था। प्राचीन काल में इस शहर को जमदग्निपुरी या जमदग्निपुरम कहा जाता था। चूंकि ये स्थान महर्षि जमदग्नि की तपोस्थली थी। बताया जाता है कि यहीं भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। वहीं महर्षि दधीचि भी जमग्निपुरम में ही रहकर ध्यान किया करते थे।

कहा जाता है सिराज-ए-हिंद

जौनपुर की स्थापना दिल्ली सल्तनत के शासक फिरोज शाह तुगलक ने की थी। हालांकि इस शहर का विकास शर्की शासकों के काल में हुआ। इस काल में यहां शिक्षा पर भी जोर दिया गया जिसके लिए यहां मदरसों का भी निर्माण कराया गया।  मुगल वंश शासक हुमायूं ने शहर के लोगों के मूल्यांकन के लिए जौनपुर में मठों और मदरसों का निर्माण कराने की सलाह दी। इस वजह से यहां तमाम विद्वानों को बुलाया गया। इसके बाद मुगल शासक शाहजहां ने जौनपुर को भारत का सिराज कहा गया। जिसके बाद से जौनपुर को सिराज-ए-हिंद कहा जाता है।

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इस वजह से शिक्षा क्षेत्र में थी तरक्की

जौनपुर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि एक समय महाकाव्य पद्मावत के रचनाकार कवि मलिक मुहम्मद जायसी यहां की शिक्षा से प्रभावित होकर काफी समय तक यहां पर समय व्यतीत था। शिक्षा के साथ-साथ सैन्य बल और सांस्कृतिक विरासत भी काफी अहम रही है। हालांकि ऐसा माना जाता है कि कई मुस्लिम शासकों ने मंदिरों को तोड़ कर मस्जिद का निर्माण करवाया था।

मध्यकाल में स्वतंत्र राज्य था जौनपुर

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जौनपुर जानें की बात करें तो वाराणसी से इसकी दूरी 58 किलोमीटर जबकि कुंभ नगरी प्रयागराज से 100 किलोमीटर दूरी पर है। यहां प्रमुख रूप से अवधी भाषा बोली जाती हैं। मध्यकालीन भारत में जौनपुर सल्तनत स्वतंत्र राज्य था। प्राचीन काल में जौनपुर पर गुप्त वंश का आधिपत्य रहा था।