भारतीय जनता पार्टी के नेता और गोड्डा सीट से सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी को मुस्लिम कमिश्नर बताया था। उनके इस बयान पर कुरैशी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोमवार को कहा कि उनका मानना है कि लोगों को उनके योगदान से परिभाषित किया जाना चाहिए, न कि उनकी धार्मिक पहचान से। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कुरैशी ने कहा, ‘हमारा संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। कोई भी जो चाहे कह सकता है।’
जब कुरैशी से यह सवाल किया गया कि क्या वह वक्फ अधिनियम पर दिए गए अपने बयान पर कायम हैं तो उन्होंने कहा, ‘बेशक, मैं कायम हूं।’ 17 अप्रैल को कुरैशी ने एक्स पर लिखा था, ‘वक्फ अधिनियम निस्संदेह मुस्लिम जमीन हड़पने के लिए सरकार की एक भयावह और बुरी योजना है। मुझे यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर सवाल उठाएगा। शरारती प्रचार मशीन द्वारा गलत सूचना ने अपना काम बखूबी किया है।’
निशिकांत दुबे ने पूर्व सीईसी पर बोला था हमला
दुबे ने पूर्व सीईसी पर वक्फ अधिनियम की आलोचना करने को लेकर हमला बोला और उन्हें मुस्लिम कमिश्नर बताया। निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘आप चुनाव आयुक्त नहीं,मुस्लिम आयुक्त थे,झारखंड के संथालपरगना में बांग्लादेशी घुसपैठिया को वोटर सबसे ज़्यादा आपके कार्यकाल में ही बनाया गया ।पैगंबर मुहम्मद साहब का इस्लाम भारत में 712 में आया,उसके पहले तो यह ज़मीन हिंदुओं की या उस आस्था से जुड़ी आदिवासी,जैन या बौद्ध धर्मावलंबी की थी।मेरे गाँव विक्रमशिला को बख्तियार ख़िलजी ने 1189 में जलाया,विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने दुनिया को पहला कुलपति दिया अतिश दीपांकर के तौर पर ।इस देश को जोड़ो,इतिहास पढ़ो,तोड़ने से पाकिस्तान बना,अब बंटवारा नहीं होगा।’
कौन हैं बीजेपी के निशिकांत दुबे जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दे डाली?
कुरैशी कब से कब तक रहे सीईसी
सोमवार को पीटीआई से बात करते हुए कुरैशी ने कहा, ‘मैंने चुनाव आयुक्त के संवैधानिक पद पर अपनी पूरी क्षमता से काम किया है और आईएएस में मेरा लंबा और संतोषजनक करियर रहा है। मैं ऐसे भारत के विचार में विश्वास करता हूं जहां किसी व्यक्ति को उसकी धार्मिक पहचान से नहीं बल्कि उसकी प्रतिभा और योगदान से पहचाना जाता है।’ कुरैशी ने यह भी कहा, ‘लेकिन मुझे लगता है कि कुछ लोगों के लिए धार्मिक पहचान उनकी घृणित राजनीति को आगे बढ़ाने का एक मुख्य साधन है। भारत हमेशा अपने संवैधानिक संस्थानों और सिद्धांतों के लिए खड़ा रहा है और लड़ता रहेगा।’ कुरैशी जुलाई 2010 से जून 2012 तक भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर कार्यरत रहे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…