यूपी में हाल ही हुए विधान परिषद के चुनाव में भाजपा ने 36 में से 33 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं तीन सीटों पर निर्लदलीय उम्मीदवारों ने बाजी मारी है। इस चुनाव में इटावा-फर्रुखाबाद सीट से भाजपा के प्रांशु दत्त द्विवेदी की जीत भाजपा के लिए काफी खास मानी जा रही है। दरअसल इस सीट पर भाजपा आजादी के बाद से कभी जीत हासिल कर नहीं सकी थी।

बता दें कि यह सीट समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव का गढ़ मानी जाती रही है। लेकिन इस बार भाजपा के प्रांशु दत्त द्विवेदी ने जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया। इस जीत से भाजपा को यहां काफी मजबूती मिलने की उम्मीद है। गौरतलब है कि प्रांशु दत्त द्विवेदी से पहले उनके ताऊ सुरेंद्र दत्त द्विवेदी ने 1990 में एमएलसी का चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें करारी शिकस्त मिली थी।

प्रांशु दत्त भाजपा के बड़े नेता रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी के भतीजे हैं। उन्होंने अपनी सक्रिय राजनीति की शुरुआत 2002 से की। और आगे चलकर 2008 में भाजपा ने उन्हें कमल क्लब का प्रदेश संयोजक बनाया। उन्हें 2011 में युवा मोर्चा का प्रदेश मंत्री, 2013 में युवा मोर्चा का राष्ट्रीय मंत्री और 2018 में प्रदेश सह-संयोजक स्थानीय निकाय प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी दी गई। भाजपा ने 2021 में प्रांशु दत्त द्विवेदी को भारतीय युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और अब वो एमएलसी हैं।

जिस इटावा-फर्रुखाबाद सीट से प्रांशु ने जीत हासिल की है वहां से सपा संस्थापक मुलायाम सिंह यादव 6 मई 1970 को भारतीय लोकदल से एमएलसी चुनाव जीते थे। इसके बाद यहां से 6 मई 1982 को मुलायम सिंह यादव दोबारा चुनाव जीते थे। इस सीट को जालौन-इटावा के नाम से जाना जाता था।

इस सीट पर सपा, बसपा के बाद अबकी बार बीजेपी ने आजादी के बाद पहली बार जीत हासिल कर मुलायम के गढ़ में सेंध लगाई है।