Kisan News: पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन (WBCSA) ने शुक्रवार को थोक आलू की कीमतों में भारी गिरावट पर चिंता जताई है। उन्होंने किसानों और कोल्ड स्टोरेज संचालकों को भारी वित्तीय नुकसान की चेतावनी दी और ग्रामीण आर्थिक संकट को और गहराने से रोकने के लिए तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की मांग की है।

WBCSA के अध्यक्ष सुनील कुमार राणा ने कहा कि थोक और खुदरा कीमतों के बीच बढ़ता अंतर किसानों पर भारी दबाव डाल रहा है जिनके पास इस साल लगभग 80 प्रतिशत आलू का भंडार है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि आलू की खेती और भंडारण का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में है।

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आलू से भरे पड़े हैं कोल्ड स्टोरेज

इस साल पश्चिम बंगाल के कोल्ड स्टोरेज में रिकॉर्ड 70.85 लाख मीट्रिक टन आलू रखा हुआ है, जिसमें पिछले सीज़न में अंतर-राज्यीय आवाजाही पर प्रतिबंध के कारण 10 लाख टन अतिरिक्त अगेती किस्म का आलू भी शामिल है। अधिकांश भंडारण यूनिट्स अब पूरी क्षमता से काम कर रही हैं। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुभाजीत साहा ने कहा कि ज्योति किस्म का थोक मूल्य, जो मई में उतराई की शुरुआत के दौरान राज्य द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 15 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा था, वो अब गिरकर 9 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया है।

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उन्होंने चेतावनी दी है कि जब तक सरकार 15 रुपये प्रति किलोग्राम का थोक मूल्य सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप नहीं करती, ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी और किसान अगले साल बुवाई से हतोत्साहित होंगे। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने किसानों से 11 लाख टन आलू खरीदने का अपना मार्च का वादा अभी तक पूरा नहीं किया है।

किसानों को हो रहा है सबसे बड़ा नुकसान

किसानों को अब 400-500 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है। खासकर बर्दवान, बांकुरा, मेदिनीपुर और उत्तर बंगाल के कुछ हिस्सों में लोगों को ज्यादा नुकसान हो रहा है। WB ने राज्य से कुछ सुधारात्मक उपाय करने का आग्रह किया, जिनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तत्काल खरीद, अंतर-राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय आलू व्यापार को पुनर्जीवित करना और मध्याह्न भोजन जैसी जन कल्याणकारी योजनाओं में आलू को शामिल करना शामिल है।

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इसने राज्य के बाहर स्टॉक की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए परिवहन सब्सिडी शुरू करने की भी सिफारिश की। सुनील राणा ने कहा कि अगर ये कदम तुरंत नहीं उठाए गए तो मांग-आपूर्ति में असंतुलन पैदा होगा बुवाई कम होगी, शीतगृहों का कम उपयोग होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक नुकसान हो सकता है।

एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि ठोस नीतिगत समर्थन के बिना, राज्य की 10,000 करोड़ रुपये की आलू अर्थव्यवस्था को एक व्यापक संकट का सामना करना पड़ सकता है, जिसका असर किसानों, भंडारण इकाइयों और व्यापक ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। पीटीआई बीएसएम एमएनबी

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