Farmer Protest News: पंजाब के किसान अपनी मांगों को लेकर पिछले साल फरवरी से पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसानों के इस प्रदर्शन में शामिल दस महीने से डटे एक बुजुर्ग किसान की मौत हो गई है। उनकी उम्र 80 वर्ष बताई जा रही है। मृतक किसान का नाम जग्गा सिंह है, जो कि पंजाब के फरीदकोट के गोदारा गांव के रहने वाले थे।
किसान जग्गा सिंह के निधन ने चिंताएं बढ़ा दी हैं, क्योंकि खनौरी बॉर्डर में ही किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाले लंबे वक्त से आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। उनकी तबीयत लगातार खराब हो रही है। डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने को भी कहा लेकिन वे अपने आमरण अनशन पर अड़े हुए हैं।
किसान संगठनों ने की मुआवजे की मांग
बुजुर्ग किसान जग्गा सिंह पंजाब के फरीदकोट के गोदारा गांव में रहते थे। वे खनौरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। जग्गा सिंह को दिल का दौरा पड़ा थे, जिसके चलते उनकी तबीयत काफी खराब हो गई थी। उन्हें पटियाला के सरकारी राजिंदरा अस्पताल दाखिल कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई। किसान संगठनों ने सरकार से मांग की है कि पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाए।
किसान नेता ने कहा है कि आंदोलन में कई किसानों की मौत हो चुकी है। किसान नेताओं ने कहा है कि आंदोलन में कई किसानों की मौत हो चुकी है, मगर सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही है। जग्गा सिंह का पांच बेटों और एक बेटी का परिवार है। उनके शव को आज खनौरी मोर्चे में लाया गया था, जहां उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। सोमवार को उनका पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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पहले भी हो चुकी है किसान की मौत
बता दें कि 9 जनवरी को तरनतारन जिले के पाहुविंड गांव के 55 साल के किसान रेशम सिंह शंभू बॉर्डर पर सल्फास खाकर जान दे दी थी। रेशम सिंह पटियाला के राजिंदर अस्पताल ले जाया गया था लेकिन उनका निधन हो गया था।
गौरतलब है कि एमएसपी की गारंटी को लेकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 47 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। उनकी हालत भी नाजुक है। उनकी लेटेस्ट हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार उनका कीटोन बॉडी रिजल्ट 6.53 आया है, जो कि 0.02 से 0.27 होना चाहिए। उनका यूरिक एसिड 11.64 हो गया है, जो कि साधारण तौर पर 3.50 से लेकर 7.20 के बीच होना चाहिए।
डल्लेवाल का बिलरुबिन डायरेक्ट 0.69 है, जो कि 0.20 से कम होना चाहिए। डल्लेवाल के शरीर में प्रोटीन, सोडियम, पोटेशियम और क्लोराइड की भारी कमी है, जिसके चलते उनकी सेहत को बड़ा खतरा है। किसान आंदोलन से संबंधित अन्य सभी खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।