जजों की नियुक्ति के मसले पर सरकार और सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के बीच बीते कुछ समय के दौरान संबंध काफी कटु हुए हैं। कानून मंत्री किरेन रिजिजु ने रिटायर्ड जजों के सिर इसका ठीकरा फोड़ते हुए कहा है कि वो सरकार और जूडिशिरी के बीच गलतफहमी पैदा कर रहे हैं। उसी अंदाज में जिस तरह से विपक्ष के लोग अक्सर करते हैं। कानून मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि ये लोग राष्ट्रविरोधी कारगुजारी का अंजाम जरूर भुगतेंगे।

कॉलेजियम सिस्टम पर कानून मंत्री ने कहा कि कांग्रेस की सरकारें जजों की नियुक्ति में बेवजह दखल देती थीं। इसी वजह से कॉलेजियम सिस्टम अस्तित्व में आया। उनका कहना था कि संविधान के मुताबिक जजों की नियुक्ति का काम सरकार का है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और हाईकोर्ट के जजों से सलाह मशविरा करने के बाद सरकार को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति करनी होती है। उनका कहना था कि जब तक कोई दूसरी व्यवस्था इजाद नहीं हो जाती, जजों की नियुक्ति के मामले में अभी कॉलेजियम सिस्टम ही काम करता रहेगा। रिजिजु इंडिया टुडे कांक्लेव में थे।

हमने कॉलेजियम के कुछ प्रस्ताव क्यों रोके, सुप्रीम कोर्ट को पता है

कुछ जजों की नियुक्ति को मंजूरी न देने के सवाल पर उनका कहना था कि वो इस बहस में नहीं पड़ना चाहते। उनका कहना था कि जिन लोगों की जजों के तौर पर नियुक्ति करने के प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी नहीं दी उसके पीछे कोई न कोई कारण जरूर था। उनका कहना था कि कॉलेजियम को इस बात का पता है कि सरकार ने इन प्रस्तावों को क्यों रोका। हमें भी पता है कि इन लोगों के नाम क्यों प्रस्तावित किए गए थे।

किरेन रिजिजु ने कहा कि अमेरिका में जज रोजाना चार से पांच केस ही सुनते हैं। जबकि भारत में जज रोजाना 50 से 60 केस सुनते हैं। कई बार तो केसों की तादाद सौ के पार हो जाती है। उनका कहना था कि जिस तरह से जज लगातार काम कर रहे हैं, उन्हें अवकाश की बेहद जरूरत है।

चुनाव आयोग के फैसले पर बोले- जज अपना कम करें तो बेहतर

चुनाव आयोग में होने वाली नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले पर रिजिजु का सवाल था कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और जज हर नियुक्ति पर बैठने लग गए तो फिर न्यायपालिका के अपने कामों का क्या होगा। उनका कहना था कि जजों का अपना बहुत सारा काम है। उन्हें उसे करना चाहिए।