अरुणाचल पश्चिम लोकसभा सीट से जीतकर आए बीजेपी नेता किरेन रिजिजू को संसदीय कार्य मंत्रालय सौंपा गया है। उनके पदभार संभालने के बाद कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं और कहा है कि पीएम मोदी संसद के काम को बेहतर ढंग से नहीं चलने देना चाहते।
किरेन रिजिजू को इसके अलावा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का प्रभार भी दिया गया है। पिछली सरकार में उनके के पास खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, पृथ्वी विज्ञान, कानून और न्याय, युवा मामले और खेल मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार था।
कांग्रेस का क्या कहना है?
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने किरेन रिजिजू का नाम लिए बिना उन्हें मंत्रालय दिए जाने पर निराशा जाताई और कहा कि पीएम संसद के काम काज चलने को लेकर किसी तरह का विश्वास पैदा नहीं करना चाहते।
सोशल साइट एक्स पर लिखी एक पोस्ट में जयराम रमेश ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि संसदीय मामलों के मंत्रालय के आवंटन से एक बात बहुत स्पष्ट हो जाती है कि ‘एक तिहाई’ प्रधानमंत्री इस बात पर विश्वास पैदा नहीं करना चाहते हैं कि संसद पिछले दशक की तुलना में अलग तरीके से काम करे दोनों सदनों में जनता के फैसले के मुताबिक काम चल सके। बीजेपी की ओर से फिलहाल इस बयान पर किसी तरह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
कांग्रेस को किरेन रिजिजू से क्या दिक्कत है?
अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस को किरेन रिजिजू के इस पद पर आने से क्या दिक्कत है? तो इसका जवाब यह भी हो सका है कि रिजिजू ने कई मौकों पर राहुल गांधी पर निशाना साधा है। जनवरी में उन्होंने राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का मज़ाक उड़ाया था। मार्च 2023 में रिजिजू ने राहुल गांधी पर लंदन में भारत विरोधी भाषा बोलने का आरोप भी लगाया था। ऐसा कई बार हुआ कि कांग्रेस नेताओं को लेकर किरेन रिजिजू ने बयान दिए।
संसदीय कार्य मंत्रालय का प्राथमिक उद्देश्य संसद और उसके सदस्यों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकारों के अन्य मंत्रालयों, विभागों और संगठनों को सेवाएं देना है। संसदीय कार्य मंत्री संसद में सरकार के कामकाज की योजना बनाने, निगरानी करने और अन्य मंत्रालयों और विभागों को उनके संसदीय कार्य को प्रभावी ढंग से पूरा करने में मदद करके संसद के साथ सरकार की बातचीत को बेहतर बनाने के लिए काम करता है।
यह समितियों का गठन और बैठकें भी आयोजित करता है। खास तौर पर संसदीय कार्य मंत्री का काम संसद का डेकोरम बनाए रखना भी होता है।