केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान उर्दू भाषा में वंदे मातरम सुनाया। न्यूज़ चैनल टीवी 9 भारतवर्ष के मंच पर उन्होंने वंदे मातरम का उर्दू में तर्जुमा (Translation ) कर सबको हैरान कर दिया। इस दौरान एक शख्स की अपील पर उन्होंने कहा कि आप मेरा इम्तहान ले रहे हैं।

राज्यपाल ने उर्दू में वंदे मातरम सुनाई, “तस्लीमात मां तस्लीमात। जहां तस्लीमात सलाम का बहुवचन है। तू भरी है मीठे पानी से, फल-फूलों की शादाबी से, दक्खिन की ठंडी हवाओं से। तस्लीमात मां तस्लीमात। तेरी रातें रोशन चांद से, तेरी रौनक सब्ज-ए-फाम से। तेरी मीठी बहुत जुबान है, तेरी बाहों में मेरी राहत है, तेरे कदमों में मेरी जन्नत है। तस्लीमात मां तस्लीमात।”

रातभर बैठकर किया अनुवाद: आरिफ मोहम्मद खान ने वंदे मातरम के उर्दू अनुवाद के पीछे का किस्सा सुनाते हुए कहा, “मैं यूं ही रात को इसका अनुवाद करने बैठा तो मैंने देखा कि ये कविता की तरह बनता जा रहा है। थोड़ा समय लगा अनुवाद करने में, संस्कृत की कई डिक्शनरी उठाई रात भर अनुवाद करने के बाद सुबह उसे मैंने किसी को लखनऊ भेजा।”

राज्यपाल ने बताया, “मैंने उस शख्स से कहा कि किसी को ये मत बताना कि किसने भेजा है । बस ये उन्हें दिखाना और पूछना कि क्या इसमें कोई ऐसी बात है जिसे पढ़ने से फेथ खतरे में पड़ता है।” उन्होंने आगे का किस्सा सुनाते हुए कहा, “एक घंटे बाद उस शख्स का फोन आया कि आरिफ भाई मैंने उसे दिखाया तो कई लोगों ने इसे पढ़ा और सब ने यही कहा कि इसमें ऐसी कोई बात नहीं है। तब उन्होंने बताया कि ये वंदे मातरम का तर्जुमा है।”

बगैर पढ़े ही ऐतराज का नहीं कोई इलाज: आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अगर आपने बगैर पढ़े ही हर चीज पर ऐतराज करने का मन बना लिया है तो उसका कोई इलाज नहीं है। इससे पहले ज्ञानवापी मामले पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था कि हमें न्यायालय पर भरोसा रखना चाहिए। एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने कहा था कि भारतीय संस्कृति हमें अहिंसा का पाठ पढ़ाती है। भारत की पहचान ज्ञान से है। हमें भारतीय ज्ञान परंपरा को विश्व में जन-जन तक पहुंचाना होगा।