बीती 12 जुलाई को केरल के तिरुअनंतपुरम स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज में थर्ड ईयर के स्टूडेंट अखिल चंद्रन अपने कुछ दोस्तों के साथ कैंपस में बैठे थे। नजदीक में ही सीपीएम के स्टूडेंट विंग स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के कार्यकर्ता भी थे, जिन्होंने अखिल और उनके दोस्तों को वहां से जाने के लिए कहा। पहले भी हो चुके एक टकराव की वजह से नाराज अखिल ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
दोनों पक्षों के बीच जमकर लड़ाई हुई। आरोप है कि कॉलेज स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट एसएफआई के आर शिवरंजीत ने अखिल चंद्रन को चाकू से गोद दिया। यह भी आरोप है कि वारदात के वक्त यूनियन सेक्रेटरी एएन नसीम चंद्रन को पकड़े हुए थे। इस हिंसा से नाराज सैकड़ों स्टूडेंट्स जिनमें बहुत सारी लड़कियां भी थीं, राजधानी की सड़कों पर उतर आए और एसएफआई के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
चंद्रन खुद भी एसएफआई के लोकल कमेटी मेंबर हैं। वह फिलहाल ठीक हैं, लेकिन इस वारदात से ब्रिटिश युग का यह कॉलेज सुर्खियों में आ गया। इस कॉलेज के स्टूडेंट यूनियन पर बीते दो दशक से एसएफआई का कब्जा है। सीपीएम के नेतृत्व वाली राज्य की एलडीएफ सरकार के लिए यह मामला उस वक्त किरकिरी का सबब बन गया, जब यह खुलासा हुआ कि नसीम और शिवरंजीत ने पुलिस कॉन्स्टेबल की भर्ती सूची में टॉप पर हैं।
दोनों ही छात्रनेता चंद्रन पर हमले के मामले में गिरफ्तार हो चुके थे। उधर, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार लॉ ऐंड ऑर्डर मशीनरी पर सीपीएम का दबदबा कायम करने के लिए एसएफआई को एक ‘समानांतर रिक्रूटमेंट सेंटर’ के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। एसएफआई ने अब कॉलेज में अपनी स्टूडेंट विंग को भंग कर दिया है।
बता दें कि इस कॉलेज की स्थापना 1866 में त्रावणकोर के शाही परिवार द्वारा किया गया था। यूनिवर्सिटी कॉलेज में पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन, पूर्व महाराष्ट्र गवर्नर पीसी अलेक्जेंडर, सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज फातिमा बीवी समेत कई राजनेता, ब्यूरोक्रेट्स और साहित्यकार पढ़ाई कर चुके हैं।
केरल विश्वविद्यालय से संबद्ध यूनिवर्सिटी कॉलेज किसी वक्त में हिंसक कैंपस राजनीति का गवाह भी रह चुका है। 70 के दशक में यहां एसएफआई का प्रभाव कम था और स्टूडेंट यूनियन पर कांग्रेस के केएसयू का दबदबा था। हालांकि, 80 के दशक में हालात बदले और एसएफआई ने कॉलेजों को स्वायत्त्ता देने के मुद्दे पर हिंसक प्रदर्शनों की अगुआई की।
कुछ सालों में यह कॉलेज एसएफआई के गढ़ में तब्दील हो गया। आखिरी बाद केएसयू का कोई नेता इस कॉलेज यूनियन से 1986 में जीता था। बात 2000 की है, जब कोल्लम के निलामेल स्थित एक प्राइवेट कॉलेज से आए एआर निषाद को कथित तौर पर जबरन कैंपस स्थित एसएफआई दफ्तर ले जाया या। यहां हमलावरों ने उनके शरीर के पीछे “SFI” गोद दिया। कैंपस स्थित यह एसएफआई दफ्तर एक टॉर्चर चैंबर के तौर पर कुख्यात हो चला था, जहां इसके नेताओ की बात न सुनने वालों से ‘निपटा’ जाता था।
निषाद के साथ हुई घटना के बाद एसएफआई को कैंपस में अपनी यूनिट भंग करनी पड़ी। हालांकि, एक साल बाद, 2001 में कैंपस में केएसयू की एक ईकाई की स्थापना हुई। हालांकि, वह संगठन लंबे वक्त तक नहीं टिका और एसएफआई एक बार फिर छात्रसंघ चुनाव में विजेता घोषित हुई। फरवरी 2007 में भी एक विवाद ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। साथ बैठकर नाटक देखने के लिए दो लड़कियों और उनके एक पुरुष मित्र की कथित तौर पर एसएफआई कार्यकर्ताओं ने पिटाई की।
अब 18 साल बाद इस हफ्ते कैंपस में एक बार फिर केएसयू की नींव पड़ी है। संगठन ने यहां यूनियन की स्थापना की है और एसएफआई के प्रति उपजे गुस्से को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रही है। बता दें कि एसएफआई के प्रति गुस्सा भड़काने के लिए एक घटना और भी वजह बनी। इस साल एक स्टूडेंट ने आत्महत्या की कोशिश की। 19 साल की निखिला संजीथ ने आरोप लगाया था कि एसएफआई के नेताओं ने उसका मानसिक उत्पीड़न किया।