Kerala Politics: हाल में हुए लोकसभा चुनावों में केरल की सत्ताधारी पार्टी लेफ्ट की करारी हार हुई थी। दूसरी ऐसे में अब LDF की लीडरशिप वाली लेफ्ट सरकार ने UDF की घटक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राज्य में दक्षिणपंथी मुस्लिम संगठनों का चेहरा बन गई है।
लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन की समीक्षा के दौरान लेफ्ट ने दावा किया कि प्रतिबंधित संगठन की राजनीतिक शाखा SPDI, PFI और जमात-ए-इस्लामी ने UDF की जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस और IUML के साथ मिलकर कांग्रेस को समर्थन दिया था, जिसका खामियाजा लेफ्ट को भुगतना पड़ा है।
सीपीएम को लगा है बड़ा झटका
एलडीएफ गठबंधन का नेतृत्व करने वाली सीपीआई(एम) ने इसके खिलाफ अपना कड़ा रुख अपनाया था। CAA को एलडीएफ ने चुनाव का मुख्य मुद्दा बनाया था, जिसका उद्देश्य मुस्लिम मतदाताओं को लुभाना भी था। हालांकि इससे पार्टी को चुनावी लाभ नहीं मिला, जो राज्य की 20 में से यूडीएफ की 18 सीटें हार गई है और एक ही सीट जीत पाई। इसके अलावा एक त्रिशूर की सीट बीजेपी के सुरेश गोपी जीत गए।
IUML को बताया सांप्रदायिक संगठन
IUML के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हुए CPIM (M) ए विजयराघवन ने सोमवार को मलप्पुरम में कहा कि मुस्लिम लीग की सांप्रदायिक ताकतों से हाथ मिलाने के लिए आलोचना की जा रही है। सीपीआई (एम) के प्रति आईयूएमएल का दृष्टिकोण एसडीपीआई और जमात-ए-इस्लामी जैसा ही है। आईयूएमएल असल में कट्टरपंतियों की संगठनों का नेतृत्व करने वाला संगठन है।
सीएम पिनाराई विजयन ने भी बोला हमला
खास बात यह है कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी अब आईयूएमएल पर उसके सांप्रदायिक रुख को लेकर हमला बोल दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और आईयूएमएल ने वोटों के लिए सांप्रदायिक ताकतों से हाथ मिला लिया है, चुनावों के दौरान आईयूएमएल एसडीपीआई की तरह बन गई थी।
IUML के लिए अभी तक नर्म था लेफ्ट का रुख
दिलचस्प बात यह है कि लोकसभा चुनाव से पहले लेफ्ट, IUML के साथ अपने रिश्ते को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही थी। लेफ्ट मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष रुख वाली पार्टी बता रही थी, और संकेत भी दिए थे, कि लेफ्ट के दरवाजे मुस्लिम लीग के लिए भी खुले हैं। सीपीआई (एम) के नेता विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस या यूडीएफ पर हमला करते समय आईयूएमएल का नाम लेने से बचते थे।
इतना ही नहीं, वामपंथी दल ने पिछले कुछ वर्षों में IUML समर्थक मौलवी संगठन SAMASTHA के साथ तालमेल बनाने की भी कोशिश की थी। सीपीआई (एम) ने सीएए मुद्दे पर लगातार अभियान चलाने के बावजूद किसी भी मुस्लिम संगठन के साथ टकराव से बचने के लिए सावधानी बरती थी।
UDF को मुस्लिम बहुल सीटों पर भी मिली थी जीत
लोकसभा चुनावों में सीपीआई (एम) ने पूर्व आईयूएमएल नेता केएस हमजा को पोन्नानी सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया, ताकि वाम दलों के SAMASTHA के प्रस्तावों को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय के बीच कथित “भ्रम” से लाभ उठाया जा सके। उत्तरी केरल की मुस्लिम बहुल सीटों पर मैदान में उतरे यूडीएफ के सभी उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी, जिसमें दो प्रत्याशी IUML के भी थे।
मुस्लिम लीग से सीपीएम की नाराजगी की एक और वजह यह है कि उसे हिंदुओं के बीच अपने वोटों का नुकसान हुआ है। पिछड़ा एझावा समुदाय कई निर्वाचन क्षेत्रों में मुख्य रूप से सीएए पर वामपंथियों के आक्रामक अभियान के कारण उनसे पीछे से हट गया था। लेफ्ट ने मुस्लिमों को लुभाने के लिए सीएए पर आक्रामक कैंपेन चलाया लेकिन उससे उनका परंपरागत वोट बिखर गया।